कोरोना काल में ईद की नमाज़ मांफ, घर में अदा करें चाश्त की नमाज़ –
बाबा मुहम्मद राशिद खान

वैश्विक बीमारी कोरोना वायरस के चलते ईद-उल-फित्र की नमाज़ को लेकर मदरसा हिकमत खा के डिवीजनल अध्यक्ष, मशहूर पत्राचार स्कालर भविष्यवाणी बाबा मुहम्मद राशिद खान साहब ने प्रेस वार्ता में कहा कि अगर ईद के दिन भी करोना जैसी वैश्विक बीमारी है तो नमाज़-ए- ईद आप पर माफ है, नमाज़ -ए- ईद पढ़ने का मौका ना मिलने की वजह से आप गुनाहगार नहीं होंगे। सिर्फ 4 या 5 लोग ही मिलकर ईद की नमाज़ अदा करें। बाक़ी लोग ईद की नमाज़ बजाए चाश्त की नमाज़ या नफ्ल नमाज़ अपने-अपने घरों में अदा करें।
घर में घर की छत पर या किसी बड़े हाल वगैरह में ईद की जमात नहीं हो सकती। इसलिए कम से कम ईद के दिन आप अपने घर में दो रकाअत या दो दो करके चार रकात चाशत की नफ़्ल नमाज़ पढ़ें और सलाम फेरने के बाद 34 बार अल्लाहु अकबर पढ़ें उसके बाद आप अपने हिसाब से दुआ मांगें जिस तरह आप और दिनों में मांगते हैं।
नीयत इस तरह करें : नीयत की मैंने दो रकअत नमाज़े नफ़्ल की वास्ते अल्लाह तआला के मुँह मेरा काबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर।
यह नमाज़ तन्हा तन्हा पढ़ें क्योंकि तन्हा पढ़ना ही बेहतर है शरीअत को यही पसंद है। कम से कम जब शहर की किसी एक मस्जिद में ईद की नमाज़ हो जाए तब आप यह नमाज़ पढें उस से पहले नहीं। औरतें भी ईद के दिन इस नमाज़ को पढ़ें क्योंकि औरतों पर ईद या जुमा की नमाज फर्ज नहीं है ।
मस्जिद या ईदगाह में नमाज़ पढ़ने का मौका ना मिलने की वजह से ज़्यादा मायूस होने की ज़रूरत नहीं है, हमारा रब बहुत मेहरबान है रब्बुल आलमीन हमें उतना ही सवाब अता फ़रमाएगा जितना पिछले और सालों में ईद की नमाज़ ईदगाह या मस्जिद में पढ़ने पर मिलता था, क्योंकि हदीस से यह बात साबित है कि किसी नेक काम की नीयत अगर दिल में हो मगर किसी मजबूरी की बजह से आदमी ना कर पाएं तो उसे उस काम को ना करने के बावजूद भी पूरा सवाब मिलता है।