नसीरी हाउस में बही शायरी की बयार, शायरों को खूब मिली दाद
बदायूं। शहर के फरशोरी टोला स्थित अरशद नसीरी बीलम के घर पर मुशायरे का आयोजन किया गया। शायरों ने बेहतरीन कलाम से सामाजिक विसंगतियों पर करारी चोट की, साथ ही समाधान के भाव भी व्यक्त किए।

सबसे पहले अध्यक्षता कर रहे अहमद अमजदी बदायूंनी ने नात पढ़कर मुशायरे का आगाज किया। उन्होंने बेहतरीन अंदाज में ग़ज़ल पड़ी तो श्रोता झूम उठे-
सिर्फ नफरत की निगाहों से न देखे दुनिया,
मुझको मीज़ाने मुहब्बत से भी तोला जाए।

एहसान रज़ा बदायूंनी ने नई नस्लों को अनमोल सीख दी-
मिलके अब कारोबार मत करना,
चाहे हिस्से में पाई पाई पड़े।

शम्स मुजाहिदी बदायूंनी ने इशारों में बात कह कर गागर में सागर भर दिया-
कल तक तो मेरे गांव में अमनो अमान था,
किसने लड़ा दिया मियां पंडित-पठान को।

संचालन कर रहे युवा शायर अरशद रसूल ने समाज के दर्द को यूं बयान किया-
अपनों ने आज फर्ज निभाया है इस तरह,
घायल हुए हैं हम भी भरोसे के तीर से।
मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद समर बदायूंनी ने कहा-
मुफ़लिसी जब आ गई ईमान तक,
हम ने अपने सर का सौदा कर दिया।

हसनैन कुर्बान के जज्बात कुछ यूं थे-
मैं ज़मी था मुझको भूल गया है वो,
उसकी दोस्ती हो गई है आसमान से।

इससे पहले मेहमान शायरों का गर्मजोशी से स्वागत किया गया। आयोजक शारिक नसीरी, अरशद नसीरी ने आभार व्यक्त किया। यहां एडवोकेट सफीर उद्दीन, फिरोज खान पम्मी सभासद, अमान, जुनैद कमाल, सलमान, शोएब फरशोरी, जहीर बेग गुल्लू, युनुस, अनवर खुर्शीद चुन्ना, अनफ, शकील, सोहराब, शहाबुद्दीन मुन्ना मियां पूर्व वाइस चेयरमैन नगर पालिका बदायूं। जमशेद शेरवानी, अशर, इंशाल, हसीब, नदीम, परवेज, अजहर, जैद सिद्दीकी, जैन सिद्दीकी, बल्लू, कैसर, अल्तमश, आकिल, नौशाद, कुतुब उद्दीन, नदीम, सलीम, नोमान, रुमान, फैजी खान, जुल्फिकार, काशिफ, आकिब मौजूद रहे।