(बदायूं) मुस्लिम पी.जी.कॉलेज ककराला मे समाज कार्य विभाग द्वारा महात्मा गाँधी की पुण्यतिथि के दिवस पर विभाग के विभागाध्यक्ष श्री मोहम्मद शोएव द्वारा राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि देते हुए उनके द्वारा दिए गए बलिदानो को याद किया आज ही के दिन विश्व कुष्ठ निवारण दिवस मनाने के कारण की भी चर्चा की गई श्री शोएब जी द्वारा बताया गया की महात्मा गाँधी जी कुष्ठ रोगियों से काफी स्नेह और सहानुभूति रखते थे, क्योंकि वे जानते थे कि इस रोग के क्या सामाजिक आयाम हैं। इसलिए राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने अपने जीवन में कुष्ठ रोग से पीड़ित लोगों की काफी सेवा की और कुष्ठ रोगियों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए काफी प्रयास किए। कहा जाए तो हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के प्रयासों की वजह से ही भारत सहित कई देशों में अब कुष्ठ
रोगियों को सामाजिक बहिष्कार का सामना नहीं करना पड़ता। अब समाज का अधिकतर तबका समझ गया है कि कुष्ठ रोग कोई दैवीय आपदा नहीं बल्कि एक बीमारी है, जो कि किसी को भी हो सकती है और इसका इलाज संभव है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी द्वारा कुष्ठ रोगियों को समाज की मुख्य धारा में जोड़ने के प्रयासों की वजह से ही हर वर्ष 30 जनवरी उनकी पुण्यतिथि को ‘कुष्ठ रोग निवारण दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। इसी अवसर पर महाविद्यालय की प्रचार्या डॉ रोशन परवीन ने महात्मा गाँधी के अहिंसा और स्वदेशी विचार व
कुष्ठ निवारण दिवस पर प्रकाश डाला उहोंने बताया कि कुष्ठ रोग को लोग लाइलाज मानते हैं लेकिन कुष्ठ रोग का इलाज आसानी से हो सकता है और कुष्ठ रोग के मरीजों को अक्सर छुआछूत, कोड़ ,और सामाजिक उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है और बताया कि कुष्ठ रोग छूने और हाथ मिलाने से नहीं फ़ैलता कुष्ठ रोग की रोकथाम के लिए टैबलेट भी बताई मिनोसिलाइन. डप्सोन आदि के बारे में बताया जिससे कुष्ठरोग से मुक्ति पाई जा सकती है इसी कार्यक्रम में राजनिति विभाग के प्रवक्ता डॉ राकेश कुमार द्वारा गाँधी जी को पुष्प अर्पित करते हुए उनके सत्य के प्रयोग की चर्चा कर छात्रों का मार्गदर्शन किया गया इसी क्रम में महाविद्यालय के बड़े बाबू एवं खजांची श्री अतहर जी द्वारा गाँधी को केवल एक व्यक्ति न मानते हुए एक विचारधारा से संबोधित किया गया। महाविद्यालय के जीव विज्ञान के प्रवक्ता श्री जसीम खान ने बताया की कोढ़ को ही कुष्ठ रोग कहा जाता है, जो कि एक जीवाणु रोग है। यह एक दीर्घकालिक रोग है, जो कि माइकोबैक्टिरिअम लेप्राई और
माइकोबैक्टेरियम लेप्रोमेटॉसिस जैसे जीवाणुओं की वजह से होता है। कुष्ठ रोग के रोगाणु की खोज 1873 में हन्सेन ने की थी, इसलिए कुष्ठ रोग को ‘हन्सेन रोग’ भी कहा जाता है। महाविद्यालय के विज्ञान संकाय के प्रवक्ता श्री राशिद द्वारा बताया की इस रोग का जिक्र भारतीय ग्रंथों में किया गया है। भारतीय ग्रंथों के अनुसार 600 ईसा पूर्व इस रोग का उल्लेख किया गया है। यह रोग मुख्य रूप से मानव त्वचा, ऊपरी श्वसन पथ की श्लेष्मिका, परिधीय तंत्रिकाओं, आंखों और शरीर के कुछ अन्य भागों को प्रभावित करता है। कुछ लोग कुष्ठ रोग को वंशानुगत या दैवीय प्रकोप मानते है, लेकिन यह रोग न तो वंशानुगत है और न ही दैवीय प्रकोप है, बल्कि यह रोग जीवाणु द्वारा होता है।
समाजकार्य विभाग के वरिष्ठ छात्र नीरज कुमार व जेगम खान द्वारा इस रोग के बारे में विस्तार से चर्चा की और बताया की यह रोग भारत सहित संपूर्ण विश्व के पिछड़े हुए देशों के लिए एक ऐसी समस्या है, जो कि लाखों लोगों को दिव्यांग बना देता है, लेकिन पश्चिमी देशों में इस रोग का प्रभाव न के बराबर है। भारत देश में भी इस रोग पर काफी नियंत्रण किया जा चुका है। जिन कुष्ठ रोगियों को समाज धिक्कारता है, उन कुष्ठ रोग से पीड़ित व्यक्तियों से हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी बहुत अधिक सहानुभूति और स्नेह रखते थे इसी कारन आज के दिन ही कुष्ठ निवारण दिवस भी मनाया जाता हैं। समाज कार्य विभाग के छात्र अनस खान द्वारा बताया गया की आज आधुनिक चिकित्सा प्रणाली ने इतनी तरक्की कर ली है कि कुष्ठ रोग का इलाज कई वर्ष पूर्व ही संभव हो गया था। आज के समय में इस रोग की मल्टी ड्रग थैरेपी उपलब्ध है। अगर सही इलाज किया जाए तो रोगी निश्चित ही कुष्ठ रोग से मुक्त होकर एक सामान्य जिंदगी जी सकता है।वर्तमान समय में कुष्ठ रोग का इलाज 2 प्रकार से हो रहा है। पॉसी-बैसीलरी कुष्ठ रोग (त्वचा पर 1-5 घाव का होना) का उपचार 6 माह तक राइफैम्पिसिन और डैप्सोन से किया जाता है बल्कि मल्टी-बैसीलरी कुष्ठ रोग (त्वचा पर 5 से ज्यादा घाव का होना) का उपचार 12 माह तक राइफैपिसिन, क्लॉफैजिमाइन और डैप्सोन से किया
जाता है। सरकारी अस्पताल द्वारा रिहाइशी इलाकों में मौजूद स्वास्थ्य केंद्रों में कुष्ठ रोग का नि:शुल्क इलाज उपलब्ध है। भारत में राष्ट्रीय जालमा कुष्ठ एवं अन्य माइकोबैक्टीरियल रोग संस्थान का कुष्ठ रोग के क्षेत्र में अहम योगदान है। विभाग के छात्र आसिम ने बताया की’कुष्ठ रोग निवारण दिवस’ पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी द्वारा अपने जीवनकाल में कुष्ठ रोगियों को समाज की मुख्य धारा से जोड़ने के किए गए प्रयासों से सीख लेकर प्रत्येक नागरिक को कुष्ठ रोग, उसके उपचार, देखभाल और उसके रोगियों के पुनर्वास के बारे में जागृति फैलाने के लिए हरसंभव प्रयास करना चाहिए और आज सबसे ज्यादा जरूरत कुष्ठ रोग पीड़ितों को समाज की मुख्य धारा से जोड़ने की है। महाविद्यालय के लेखाकार श्री जीशान जी ने कहा की भारत के प्रत्येक नागरिक को भारत को कुष्ठ रोग से मुक्त करने के लक्ष्य में सक्रिय रूप से अपनी भागीदारी निभानी चाहिए जिससे कि जल्द से जल्द भारत को कुष्ठ रोग मुक्त किया जा सके। इस आयोजन में महाविद्यालय परिवार एवं समाज कार्य विभाग के सभी छात्र चंदन भारद्वाज, मोहम्मद अनस खान आसिम बेग,जैगम ,मणि भूषण,शबीना खानम ,सुमय्या, जसीम , अनु ,समरीन , व्यवस्थापक श्री शमशाद खुआजा आदि उपस्थित रहे..