सम्भल। किसानों के गन्ने में लाल सड़न रोग किसानों के लिए नुकसानदायक है।
डीएसएम शुगर मिल में प्रेस वार्ता करते हुए जिला गन्ना अधिकारी राजेश्वर यादव ने पत्रकारों के समक्ष अपील की थी वह किसानों की समस्याओं जो की उनके गन्ने में लाल सड़न रोग है उसके बचाव हेतु उनका जागरूक होना आवश्यक है । गन्ने में लाल सड़न रोग जो की हवा पानी और मिट्टी के माध्यम से फैलता है। उसके लिए किसानों को अपने गन्ने की खेत में जाना होगा तथा यह देखना होगा कि उनके खेत में प्रत्येक लाइन में घूम कर देखें यदि उनके गन्ने की पत्ती पीली पड़ गई है तथा इसकी मध्य शिरा पर रुद्राक्ष की माला के समान लाल रंग के धब्बे दिखाई दे रहे हैं जो पौधे के सूखने पर काले रंग के हो जाते हैं तो निश्चित रूप से लाल सड़न रोग है । इसके लिए किसान भाइयों को रोग से ग्रसित गन्ने के मूढ़े को जड़ सहित उखाड़ कर तथा प्लास्टिक के कट्टे में भरकर खेत से बाहर खाली स्थान पर गहरा गड्ढा खोदकर मिट्टी से दबा दें यह भी ध्यान रखना होगा कि
जिस जगह से रोग ग्रस्त मूढ़ उखाड़ा है वहां बने गड्ढे में 10 से 15 ग्राम ब्लीचिंग पाउडर डालकर मिट्टी से ढक दें ।फिर बिना देर करें 200 लीटर पानी में 400 ग्राम फूफूंदीनाशक दवा का पंद्रह दिनों के अंतराल पर दो बार छिड़काव अवश्य करें।लाल सड़न से अपने गन्ने की फसल को बचाने के लिए चीनी मिल द्वारा टीम गठित की गई है जिसमें 18 टीमें लगी है जिसमें उनके प्रबंधक और उनके स्टाफ सुबह 6:00 बजे ही खेतों पर चले जाते हैं आप लोगों को जागरूक होना पड़ेगा।
यूनिट हेड आशीष शर्मा ने भी किसानों से अपील की वह अपने खेतों पर जाकर लाल सड़न बीमारी की जांच करें और अपने क्षेत्रीय सुपरवाइजर से मिलकर कीटनाशक, फूफूंदीनाशक एवं अन्य दवाइयों का वितरण मिल के द्वारा छूट पर किया जा रहा है । लाल सड़न रोग से होने वाले नुकसान से अपने गन्ने की फसल बचाने के लिए जानकारी प्राप्त कर दवाइयां प्राप्त करें ताकि आपका गन्ना सुरक्षित और स्वस्थ रहे जिससे आपकी आय में कोई कमी ना हो।
सम्भल से खलील मलिक कि ख़ास रिपोर्ट