कोरोना महामारी के चलते आज एक भी पल ऐसा नहीं गुजर रहा जिसमे इंसान को डर ना हो। इसी के चलते स्कूल अपने अध्यापकों को रिस्क पर स्कूल बुला रहे थे। फिर जिले के सभी सम्मानित विद्यालयों ने अपने शिक्षकों की जान के बारे में और उनके परिवार की सलामती के बारे में सोचते हुए। वर्क फ्रॉम होम का फैसला लिया और शिक्षकों को सावधानी बरतने को कहा कि शिक्षक अपने साथ साथ अपने परिवार का भी विशेष ध्यान रखें। ये वही शिक्षक हैं जिन्होंने पिछली महामारी में अपने वेतन की चिंता ना करते हुए स्कूलों का साथ दिया। दुनिया में हर किसी की तारीफ हुई पर शिक्षक के बारे में किसी ने नहीं सोचा कि उन्होंने अपनी आधे वेतन पर बच्चो को पढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी।