सम्भल। गोपाल धर्मशाला मोहल्ला ठेर में चल रही श्री मद्भागवत कथा के पांचवे दिन का शुभारंभ श्रीकृष्ण बाल लीला, माखन चोरी एंव छप्पन भोग महोत्सव के साथ हुआ।
कथा के पांचवे दिन भागवत कथा व्यास श्रद्धेय राम स्नेही मिश्र महाराज ने भजन…यदु नंदन गोपाला जय वंृदावन वाला को सुनाकर कथा की शुरुआत की।
कथा वाचक विख्यात श्रद्धेय व्यास जी ने कथा की शुरुआत करते हुए कहा कि जहाँ पर नंद और यशोधा निवास करते है यानि जिसके द्वारा दूसरो को यश और आनंद प्रदान किया जाता हो, वह हद्य ही गोकुल है, और ऐसे गोकुल में नंद और यशोदा निवास करते है। इन्ही नंद यशोदा के यहा गोकुल में परमात्मा श्रीकृष्ण अवतार लेकर नंद और यशोदा के उपर यश और आनंद की वर्षा कर देते है। उन्होने कहा कि जो दूसरो को आनंद दे वह नंद और जो यश का दान करे वह यशोदा है।
ऐसे दूसरो के यहां आनंद और यश आनंद और यश की अनुभूति कराने वालो को ही श्रीकृष्ण रुपी धन प्राप्त करने का सौभाग्य प्राप्त होता है। महाराज ने कथा के बीच बीच ..यदु नंदन गोपाला जय वंृदावन वाला..बिहारी ब्रज में घर मेरा बसा दो तो क्या होगा …भजमन श्री राधे गोपाल..इत्यादि भजनो के गौते भक्तो को लगाए।
आगे उन्होंने कहा कि गौकुल में श्रीकृष्ण के पर्दापण के साथ ही लक्ष्मी का वास ब्रज में हो गया। उन्होने लक्ष्मी जी के महत्व को समझाते हुए कहा कि हम यदि परमात्मा की और जाएगे तो लक्ष्मी हमे निश्चित प्रभू के साथ कृपा प्रदान करेगी।
जब से प्रभू का अवतार गौकुल में हुआ तब से उनकी लीला में सहयोग करने के लिए श्रीलक्ष्मी जी उनके अवतार के पुर्व ही ब्रज में विराजमान हो गई।
पूतना प्रसंग को सुनाते हुए व्यास जी ने कहा कि पूतना अविधा अज्ञान का रुप है और प्रकाश रुप परमात्मा के सामने अज्ञान एंव अंधकार रुपी पूतना कैसे ठहर सकती है। दूसरा भाव बताते हुए उन्होने कहा कि श्रीवामन अवतार में पूतना राजा बलि की पुत्री रत्नमाता थी और भगवान वामन का दर्शन कर उन्हे पुत्र रुप में पाने और दूध पिलाने की भावना उत्पन हो गई थी, लेकिन अगले ही क्षण में जब भगवान वामन ने राजा बलि को छल लिया तो पुतना के मन में हिता का भाव आ गया यानि वामन भगवान से बदला लेने का मन बना लिया वही रत्न माला अगले जन्म पुतना के रुप में आई और भगवान ने पूतना का स्तन पान भी किया और उद्धार भी किया।
उन्होने आखिर में कहा कि दुनिया से रिश्ते नाते जोड़ते हो कभी संसार को चलाने वाले बांके बिहारी से भी नाता जोड़ो, जितना जितना संसार से मन लगाओगे मन खट्टा होता रहेगा..जब बांके बिहारी के साथ मन लगाओगे तो मन मिठ्ठा होता जाएगा।
जिसके बाद व्यास जी ने श्री कृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन करते हुए मटकी फोड़ प्रसंग सुनाया। मटकी फोड़ प्रसंग को लेकर पंडाल मे झाँकी भी सजाई गई। श्रीकृष्ण और ग्वाल बने नन्हे बच्चों ने मटकी फोड़ के उत्सव को जीवंत कर दिया। मटकी फोड़ उत्सव मे गोकुल की मटकी फोड़ का स्मरण कराया। काफी देर तक ग्वालों के कंधो पर चढ़ कर मटकी फोड़ने की कोशिश कर रहे श्री कृष्ण रूपी बालक ने आखिर मटकी को फोड़ दिया और अपने सखाओं के साथ मिल कर माखन का भरपूर आनंद लिया। जिससे सारा सैंकड़ो की संख्या में बांके बिहारी के भक्तजनो ने श्रीकृष्ण नाम की गूंज से सारा वातावरण गूंज उठा। सभी भक्तगणों में आरती में हिस्सा लेकर आशीर्वाद प्राप्त किया।
इस दौरान मुख्य आयोजिका मीनू रस्तोगी, सौरव रस्तोगी, संगीता रस्तोगी, अंजु रस्तोगी, अजय शर्मा, मनोज गुप्ता, विकास रस्तोगी ,सुनीता यादव, सरिता गुप्ता, आशा गुप्ता, भारत मिश्रा, अवधेश गर्ग, सौरव रस्तोगी, स्मृति रस्तोगी आदि उपस्थित रहे।
संचालन राजेंद्र गुर्जर ने किया।
सम्भल से खलील मलिक की रिपोर्ट