सहसवान। पेड़ तो काट दिया जाता है लेकिन उसकी जड़ें वहीं छोड़ दी जाती है ।अधिकारियों का ट्रांसफर तो कर दिया जाता है। लेकिन सालों से जमे बाबू के लिए भ्रष्टाचार के लिए छोड़ दिया जाता है।
पोषाहार को लेकर आए दिन नगर एवं देहात क्षेत्रों में शिकायतें देखने को मिलती है। जहां पात्र लोगों तक पोषाहार का लाभ बिल्कुल नहीं मिल पाता आखिर क्यों अगर कोई व्यक्ति पोषाहार से संबंधित शिकायत करता है।तो शिकायतकर्ता की शिकायत को वही दबा दिया जाता है। वही पोषाहार की पैकिंग को फाड़ कर पोषाहार को दुकानदारों को आराम से सप्लाई कर दिया जाता है। यह सारा खेल सालों से जमे सीडीपीओ के एक बाबू के संरक्षण में काफी समय से चल रहा है । अगर पोषाहार वितरण को लेकर बारीकी से जांच कर ली जाए तो भ्रष्टाचार का पर्दाफाश होने में समय नहीं लगेगा वही आशाओं एवं कार्यकारिणी द्वारा नाममात्र के लिए कुछ लोगों के लिए वितरण कर दिया जाता है। बाकी सारा माल बाबू से मिलकर गोलमाल कर दिया जाता है। वही आशाओं की शिकायत के बारे में कुछ कहा जाए तो उनका भी साफ कहना है। जहां करना है हमारी शिकायत कर दो हमें भी बाबू तक पहुंचाना पड़ता है।