बदायूं। जिले के अस्पतालों में डॉक्टर, स्टाफ में रिश्वत लेने की होड़ लगी हुई है कि कौन ज्यादा रिश्वतखोरी कर लेगा उसको सरकार की तरफ से अवार्ड मिलेगा। जिले के अस्पतालों में आये दिन रिश्वत लेने की वीडियो वायरल हो रही है। मगर सरकारी हॉस्पिटलों के डाक्टरों, कर्मचारियों पर इसका कोई असर नहीं हो रहा है। नहीं कोई प्रशानिक अधिकारी कार्रवाई कर रहा हैं बल्कि प्रशानिक अधिकारी रिश्वत लेने वालों से भयभीत हैं।अगर किसी अधिकारी से कार्रवाई की बात कहो तो वह कहता है कि मुझे हार्टअटैक आ जायेगा।
सब कुछ जानते हुए भी अधिकारी भ्रष्टाचरियों पर कार्रवाई करने में नाकाम साबित हो रहे हैं। जबकि सीएचसी, पीएचसी पर रुपये लेने वाले लगातार वीडियो वायरल हुए किसी एक मे भी अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई हैं।
जबकि लगातार किसी ना किसी डॉक्टर, कर्मचारी का रिश्वतखोरी का वीडियो वायरल हो रहा है उसके बाद भी रिश्वतखोरी बंद नहीं हो पा रही है।
क्या सफेदपोश या अधिकारियों का संरक्षण मिला हुआ है।
जिला अस्पताल के नेत्र विभाग में रिश्वत लेने का बड़ा खेल मंगलवार को हमारी टीम के द्वारा स्टिंग ऑपरेशन किया गया जिसमें चौंकाने वाले वीडियो सामने आए आंखों के डॉक्टर तीन सौ रुपये चश्मा बनाने के ले रहे हैं खुलेआम मांग रहे हैं जैसे की अपनी दुकान घर में चला रहे हो कोई डर, भय ही नहीं हैं। खुल कर मोल भाव कर रहे हैं 250 रुपए नहीं 300 रूपये चाहिये।
किसी ने कहा है कि “संइया भये कोतवाल हमें डर काहे बात का ” यहां पर कोतवाल सइंया नहीं है वल्कि पत्नी बीजेपी की महिला मोर्चा में पदाधिकारी हैं नेत्र विभाग के सभी डाक्टरों से कहती हैं मैं बीजेपी की महिला मोर्चा की पदाधिकारी हूं यह कहकर रौब झाड़ती रहती हैं। और अपने पति से खुले में मरीजों से अवैध वसूली करवाती है इससे अधिकारियों में भी भय व्याप्त है अगर हमने कार्रवाई की तो हम पर कोई उल्टी कार्रवाई नहीं हो जाए। मंडलस्तरीय अधिकारी के द्वारा अगर जांच होती है तो सब की पोल खुल जाएगी और दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा।
जबकि मुख्यमंत्री के सख्त आदेश हैं अगर कोई भी भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारी, कर्मचारी पाया जाता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई निश्चित होंगी।
चाहे पार्टी का कोई भी पदाधिकारी या नेता भ्रष्ट हो उस पर कार्रवाई होगी जब इस बारे में सीएमएस विजय बहादुर सिंह ने बताया कि जांच करने के लिए एक कमेटी बनाई है रिपोर्ट आने के बाद जो होगा उस पर हम कार्रवाई करेंगे।
देखना यह है कि अधिकारी कार्रवाई करेंगे या राजनीतिक दबाब के डर से चुपचाप बैठ जाएंगे?
रिपोर्टर – तेजेन्द्र सागर