याचिका में मस्जिद की पूरी 13.37 एकड़ जमीन को श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट को सौंपने की मांग की गई है।
  • 30 सितंबर 2020 को सिविज जज ने खारिज की थी याचिका
  • बाद में जिला अदालत में पहुंचा था मामला, अब कोर्ट के फैसले के बाद तय होगी अगली सुनवाई की तारीख,

मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद में प्रतिवादी शाही ईदगाह प्रबंधन समिति की दलीलों व आपत्ति पर सोमवार को जिला जज यशवंत मिश्रा की अदालत में सुनवाई हुई। शाहीद ईदगाह ने याचिका को गलत बताया। कहा कि इस केस में अपील नहीं बल्कि रिवीजन दाखिल होना चाहिए। इस पर श्रीकृष्ण विराजमान के वकील विष्णु शंकर जैन ने भी अपनी बात रखी और कहा कि इस प्रकरण में अपील और रिवीजन दोनों दायर हो सकते हैं। जिस पर कोर्ट ने रिवीजन (पुन: विचार याचिका) के तौर पर सुनवाई करने का आदेश दिया है। अब 28 जनवरी को अगली सुनवाई होगी।

समझौते को निरस्त करने की मांग
याचिका में 12 अक्टूबर 1968 को श्री कृष्ण जन्म सेवा संघ और शाही मस्जिद ईदगाह के बीच समझौते का जिक्र करते हुए वाद संख्या 43/1967 में दाखिल समझौते को विधिक अस्तित्वहीन बताया गया है। सात जनवरी को बहस के दौरान शाही ईदगाह प्रबंधन समिति के सचिव तनवीर अहमद की ओर से प्रार्थना पत्र देकर कहा गया था कि वादी का दावा विधि सम्मत नहीं है और इस मामले को पंजीकृत न किया जाए।

इसका पैरोकार हरिशंकर जैन, विष्णु शंकर जैन व प्रतिवादी संख्या 3 कृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट के अधिवक्ता महेश चंद्र चतुर्वेदी व चौथे प्रतिवादी मुकेश खंडेलवाल, श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्था के वकील ने विरोध किया था। वादियों का दावा है कि ईदगाह मस्जिद श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर बनी है।

सिविल जज के यहां से खारिज हुई थी याचिका
दरअसल, श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले में श्रीकृष्ण विराजमान व लखनऊ निवासी अधिवक्ता रंजना अग्निहोत्री समेत 8 वादियों ने 25 सितंबर 2020 को सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में वाद दायर किया था। यहां से 30 सितंबर को वाद खारिज होने के बाद वादी पक्ष ने जिला अदालत की शरण ली थी। इसमें मस्जिद की पूरी 13.37 एकड़ जमीन को श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट को सौंपने की मांग की गई है।