संभल। यूपी के जनपद सम्भल बार एसोसिएशन सम्भल के अध्यक्ष प्रदीप कुमार गुप्ता एवम सचिव डा अमित कुमार उठवाल ने उपजिलाधिकारी के माध्यम से महामहिम राष्ट्रपति को एक ज्ञापन भेजा। जिसमें सम्भल बार एसोसिएशन सम्भल के अवगत कराया कि देश की न्यायपालिका के द्वारा विगत दोनों में अधिवक्ताओं के मनोबल को तोड़ने के तमाम निर्देश आये जो कि किसी भी दृष्टि से उचित नहीं है न्याय में देरी की वजह न्यायाधीशों की संख्या कम होना राजस्व न्यायालय में अनियमिति करण अधिवक्ताओं की बुनियादी सुविधाओं का अभाव और न्यायिक अधिकारियों के द्वारा कार्य करने में उदासीनता है मात्र अधिवक्ता समाज को दोषी ठहरना उचित नहीं है अधिवक्ता के भाई की मृत्यु पर शोक संदेश करना अंत्येष्टि में जाना अधिवक्ताओं का मौलिक अधिकार हैं इस पर किसी भी प्रकार की टिप्पणी न्यायपालिका के द्वारा किया जाना उचित नहीं है अधिवक्ता समाज एक स्वतंत्र एवं आदर्श पैशा है जिसमें आजादी से लेकर आपातकाल की लड़ाई के दौरान इस देश की न्यायपालिका ने लोकतंत्र की हत्या करने वाले तत्कालीन प्रधानमंत्री के आगे घुटने टेक दिए उस समय भी अधिवक्ताओं ने जैसे संघर्ष किया और हजारों की संख्या में अधिवक्ता जेल गए इसलिए अधिवक्ताओं के स्वतंत्र पैसे पर किसी का दमन स्वीकार नहीं है अधिवक्तागण देश के जिम्मेदार नागरिक हैं माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद/प्रयागराज के द्वारा पारित इस आदेश से अधिवक्ता गण की वाक एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को छीनने का प्रयास किया जा रहा है जो किसी भी दृष्टि मैं उचित नहीं है सम्भल बार एसोसिएशन सम्भल इस ज्ञापन के माध्यम से महामहिम महोदया से अनुरोध करती है कि इस ज्ञापन में उल्लेखित तथ्यों को गंभीरता से लेते हुये देश में ऐसी व्यवस्था लागू करने का कष्ट करें जिससे कि कोई भी संस्था चाहे वह कितनी भी स्वतंत्र एवं ताकतवर हो वह अधिवक्ता समाज के अधिकारों ,वाक एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को की प्रकार प्रभावित करने का प्रयास न कर सके जिससे अधिवक्ता समाज निरंतर गौरव के साथ विधि व्यवसाय स्वतंत्र रूप से कर सके ज्ञापन देने वालों में मुख्य रूप से देवेंद्र पाल, प्रकाश वीर सिंह, शरद भारद्वाज, मुस्तकीम अहमद, अफजाल अहमद,राज बहादुर सक्सेना, राजीव भटनागर अजेंद्रपाल ,सचिन चौहान, मोह जफर, शादाब बिन मुस्तकीम, मुनेश शर्मा, बसी हसन, आदि अधिवक्ता शामिल हुए हैं।
सम्भल से खलील मलिक कि ख़ास रिपोर्ट