भारतीय संस्कृति में मानव चरित्र निर्माण के लिए सोलह संस्कार अनिवार्य:आचार्य सोना शर्मा
बदायूं। संस्कार का सामान्य अर्थ है किसी को संस्कृत करना या शुद्ध करके उपयुक्त बनाना। किसी साधारण या विकृत वस्तु को विशेष क्रियाओं द्वारा उत्तम बना देना ही उसका संस्कार है। इसी तरह किसी साधारण मनुष्य को विशेष प्रकार की धार्मिक क्रिया-प्रक्रियाओं द्वारा श्रेष्ठ बनाना ही सुसंस्कृत करना कहा जाता है।भारतीय
संस्कृति में मानव चरित्र निर्माण के लिए सोलह संस्कार होना अनिवार्य शहर के निकट गांव नगला शर्की में देशपाल सिंह के पौत्र का नामकरण संस्कार संपन्न सोना आचार्य के द्वारा संपन्न कराया गया।
वैभव नाम की घोषणा करके आचार्य सोना शर्मा ने भजन के माध्यम से साथ प्रवचन देते हुए कहा गया कि
यदि मनुष्य अपना उद्धार चाहता है तो संतान का संस्कारवान होना जरूरी है। सोलह संस्कार भारतीय संस्कृति की प्राचीन सभ्यता है कि सभी बच्चों को आदर्श बालक वैदिक रीति से वैभव कुमार पुत्र मनु का नामकरण संस्कार आचार्य सोना शर्मा द्वारा संपन्न कराया गया। धर्मवीर सिंह आचार्य द्वारा एक सुंदर वैदिक भजन प्रस्तुत किया गया आचार्य ने वेद मंत्र का भावार्थ सहित प्रवचन किया गया।
इस अवसर पर नामकरण संस्कार वैभव के पिता मनु व दादा देशपाल सिंह के साथ-साथ उनकी माता एवं दादी व अन्य परिजन एवं महिला पुरुष उपस्थित रहे।