हर घर तिरंगा अभियान तथा विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के अवसर पर विकास भवन में हुये आयोजन..
विकास भवन परिसर में पंचायती राज विभाग द्वारा आयोजित मोटरसाइकिल तिरंगा रैली को जिलाधिकारी ने दिखाई हरी झंडी
विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस पर विकास भवन परिसर में आयोजित की गयी चित्र प्रदर्शनी
भारत विभाजन के दौरान अपने प्राण न्यौछावर करने वालों की याद में रखा गया दो मिनट का मौन
बरेली, 14 अगस्त। जिलाधिकारी रविन्द्र कुमार की अध्यक्षता में आज विकास भवन परिसर में हर घर तिरंगा अभियान तथा विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के अवसर पर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन हुआ।
इस अवसर पर जिलाधिकारी ने हर घर तिरंगा अभियान के अन्तर्गत उत्तर प्रदेश पंचायती राज्य ग्रामीण सफाई कर्मचारी संघ की ओर से आयोजित हर घर तिरंगा फहराए जाने हेतु जन मानस को जागरूक करने के उद्देश्य से विकास भवन से मोटरसाइकिल रैली को झंडी दिखाकर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
उक्त के उपरांत जिलाधिकारी ने द्रौपदी कन्या इण्टर कॉलेज की छात्राओं द्वारा विभाजन विभीषिका पर आयोजित चित्र प्रदर्शनी का अवलोकन किया। उक्त प्रदर्शनी में छात्राओं द्वारा देशभक्ति आधारित विभिन्न पोस्टर/मॉडलों का भी प्रदर्शन किया गया, जिसकी जिलाधिकारी व मुख्य विकास अधिकारी द्वारा भूरि-भूरि प्रशंसा की गयी।
इस अवसर पर जिलाधिकारी ने अपने सम्बोधन में कहा कि जब भारत-पाकिस्तान का बंटवारा हुआ तो भारत से पाकिस्तान जाने वाले व पाकिस्तान से भारत आने वाले लोग भारी संख्या में चले लेकिन वह अपने गंतव्य तक नहीं पहुंचे, रास्ते में भारी उपद्रव हुआ ऐसे में कुछ भाग्यशाली लोग ही अपने गंतव्य पर पहुंचे पाये, उनमें से कुछ परिवारों के सदस्य आज हमारे साथ मौजूद हैं। उन महानुभावों को विकास भवन सभागार में जिलाधिकारी द्वारा माला पहनाकर सम्मानित किया गया और उनके दर्द को साझा किया गया, जिनमें अमरजीत सिंह बक्सी, नवीन चावला, हरजीत सिंह, यशवेन्द्र सिंह, अमरजीत सिंह सम्मिलित रहे।
इस अवसर पर जिला विकास अधिकारी दिनेश कुमार ने विभाजन विभीषिका पर प्रकाश डालते हुये कहा कि देश का विभाजन किसी विभीषिका से कम नहीं था। भारत के लाखों लोगों ने बलिदान देकर आजादी प्राप्त की थी, ऐसे समय पर देश का दो टुकड़ों में बँट जाने का दर्द लाखों परिवारों में एक गहरे जख्म की तरह घर कर गया है। इसी समय बंगाल का भी विभाजन हुआ। इसमें बंगाल के पूर्वी हिस्से को भारत से अलग कर पूर्वी पाकिस्तान बना दिया गया था जो कि सन् 1971 में बांग्लादेश के रूप में एक स्वतंत्र राष्ट्र बना। भारत के इस भौगोलिक बंटवारे ने देश के लोगों को सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक तथा मानसिक रूप से झकझोर दिया था। ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस‘ हमें न सिर्फ भेदभाव, वैमनस्य एवं दुर्भावना को खत्म करने की याद दिलाएगा बल्कि इससे एकता, सामाजिक सद्भाव और मानव सशक्तिकरण की प्रेरणा मिलेगी।
विभाजन विभीषिका के समय जनपद में आये परिवारों ने अपने पूर्वजों द्वारा बताये गये अनुभवों को साझा किया। उन्होंने बताया कि विभाजन को शब्दों में बयान करना बहुत कठिन है आर्थिक नुकसान तो एक तरफ है लेकिन परिवार के परिवार उजड़ गये, भारी नरसंहार हुआ। अमरजीत सिंह लाहौर के पास रावल पिंडी के निवासी है, जब यहां आये तो भुखमरी की कगार पर थे, उनके पिता साइकिल से गेहूं का कट्टा ले जाकर बाजार में बेचते थे उससे परिवार का पालन-पोषण करते थे।
अमरजीत सिंह ने कहा कि आजादी के इतने समय बाद भी हमें लोग रिफ्यूजी कहते हैं और हमारी कालोनी को रिफ्यूजी कालोनी कहा जाता है जबकि हम अविभाज्य भारत के निवासी थे, विभाजन के समय भारत का बंटवारा हुआ तो हम यहां आये। ऐसे में हम रिफ्यूजी नहीं, भारत के निवासी हैं।
इस अवसर पर भारत विभाजन के दौरान अपने प्राण न्यौछावर करने वालों की याद में दो मिनट का मौन रख उन्हें श्रद्धांजलि दी गयी।
इस अवसर पर मुख्य विकास अधिकारी जग प्रवेश, जिला विद्यालय निरीक्षक देवकी सिंह, जिला विकास अधिकारी दिनेश कुमार सहित विकास भवन के समस्त अधिकारी व कर्मचारी उपस्थित रहे।