खनन अधिकारी का प्राइवेट बाबू करा रहा खनन का अवैध धंधा पूरे जिले में फैला हुआ है नेटवर्क जमकर हो रही अवैध वसूली

कुंवरगांव।थाना क्षेत्र के कई गांव में हांथ से मिटटी उठाने का धंधा जोरों पर चल रहा है ।वैसे तो जनपद में अवैध खनन का काला कारोबार किसी से छिपा नहीं है।खनन का अवैध कारोबार करने वाले माफिया स्थानीय दलालों व खनन विभाग के अधिकारियों से मिलकर जमकर मिट्टी बेचने का कार्य कर रहे है। खनन माफियाओं के हौसले इस कदर बुलंद हैं कि हर रोज

सैकड़ों ट्राली मिटटी बेचकर माफिया मोटी कमाई कर रहे हैं।मिटटी का खनन होते समय कोई भी अधिकारी उनको पकड़ने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा हैं। कुंवर गांव थाना क्षेत्र के गांव दुगरइया, हसनपुर , औरंगाबाद ,पड़ौलिया व कस्बे के आसपास से मिट्टी उठाकर कस्बे में 800 से लेकर 1000 में बेचने का धंधा जोरों पर चल रहा है जानकारी के मुताबिक बगैर माइनिंग ओवरलोड वाहन की पंजीयन, बीमा, पॉल्यूशन, फिटनेस, ड्राइविंग लाइसेंस के बिना आसानी से कृषि कार्य में आने वाले ट्रैक्टर ट्राली पर लदी मिटटी को लेकर सैकड़ों की संख्या में प्रतिदिन

ट्रैक्टर ट्राली काम कर रहे हैं।जिससे राजस्व का भी काफी नुकसान हो रहा हैं। इसमें खनन आफिस में तैनात प्राइवेट बाबू की संलिप्तता उजागर हो रही है। जिसका नेटवर्क पूरे जिले में फैला हुआ है। जानकारी के अनुसार बाबू के पास एक सूची रहती है। जिसमें उन खनन माफियाओं के नाम अंकित होते हैं ।जिनसे खनन अधिकारी के पास पैसा आ चुका होता है । खनन की सूचना मिलने पर बाबू सूची को देखता है और अगर पैसा आए हुए हैं और खनन माफिया का नाम लिस्ट में होता है

तो खनन अधिकारी के द्वारा सूचना देने वाले का फोन उठना बंद कर दिया जाता । खनन विभाग के अनुसार किसान को जरूरत के अनुसार फावड़े से 100 घन मीटर 33 ट्राली मिट्टी अपने खेत से अपने ट्रेक्टर से अपने प्लाट में 11 दिन में डालने का मानक है लेकिन यहां ऐसा नहीं किया जा रहा है मिट्टी उठाने के कार्य में लगे एक ही ट्रेक्टर के नम्बर को बार बार परमीशन में अंकित किया जा रहा है। और परमीशन भी आसानी से स्वीकृत हो जा रही है उसके नियमों को पूरा भी नहीं किया रहा है मिट्टी कार्य में लगे ट्रेक्टर चालक के ड्राइविंग लाइसेंस को भी चैक नहीं किया जाता है यहां तो नाबालिग भी ओवरलोड मिट्टी भरी ट्रालियां दौड़ा रहे हैं हादसे के दौरान इसका कौन जिम्मेदार है ।ऐसी स्थिति में हादसा होने पर पुलिस को भी कड़ी मेहनत करनी पड़ती ।चालक की पहचान करना उसको पकड़ना भी मुश्किल हो जाता है।