सम्भल। नगर पालिका परिषद प्रशासन पर सटीक बैठ रहे हैं,क्योंकि कुछ यही हाल हो रहा है। कुछ कर्मचारियों का जबकि कुछ पर इतने महरबान है कि बड़े घोटाले का पर्दापफाश और अधिकारियों के कार्यवाही के निर्देेश के बाद भी अभयदान दिया जा रहा है।
दर असल हुआ यूं कि 2007 में प्रहलाद कुमार नगर पालिका परिषद में बैगलाॅग कर्मचारी के पद पर तैनात हुआ था। उसके संतोष जनत कार्य की निष्ठा के चलते तत्काल पालिकाध्यक्ष ने शासनादेशानुसार 6 सदस्य कमेटी का गठन किया था। कमेटी की सिफारिशों के आधार पर उसे पौंड मौहर्रिर के रिक्त पद पर समायोजित कर दिया गया था। समायोजन के बाद से उसे पौंड मोहरर्रि का वेतन दिया जाने लगा। तभी से वह अपने इस पद पर कार्य करता चला आ रहा था, लेकिन तत्कालीन अधिशासी अधिकारी ने बिना कोई जांच कमेटी का गठन किए चार वर्ष बाद उसका वेतन रोक दिया और उसे फिर से सफाई कर्मचारी का वेतन दिया जाने लगा, जबकि कर्मचारी द्वारा अधिशासी अधिकारी को मौखिक व लिखित में प्रार्थना पत्र दिए। लेकिन अधिशासी अधिकारी ने उसकी एक नहीं सुनी न ही पत्रावली की स्वयं जांच करायी। पौंड मौहर्रिर प्रहलाद कुमार की ओर से 11 जून 2017 को एक शपथ पत्र दिया कि यदि शासन स्तर से कोई भी आपत्ति समायोजन के विपरीत आने पर उसे सफाइ कर्मचारी के पद पर जाने में कोई आपत्ति नहीं होगी। इस पर तत्कालीन अधिशासी अधिकारी/प्रशासक रामेन्द्र सिंह यादव ने पुनः एक तीन सदस्यीय कमेटी गठित की और कमेटी की आखानुसार अपनी सहमत/स्वीकृति प्रदान कर दी।, लेकिन उसके बावजूद समायोजन को बहाल कर वेतन पौंड मौहर्रिर का नहीं दिया गया। अब पीड़ित कर्मचारी ने नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष आसिया मुशीर से तत्कालीन अधिशासी अधिकारी के आदेश को निरस्त कर उसका समायोजन को बहाल कर वेतन दिलाने की गुहार लगायी।
सम्भल से खलील मलिक कि ख़ास रिपोर्ट