भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान एग्री इन्कुबेशन केन्द्र तथा पशुधन उत्पाद प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित पाँच दिवसीय ”मांस प्रसंस्करण और मूल्य वर्धन पर उद्यमिता विकास कार्यक्रम“ का आज समापन हो गया। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में देश के पाँच राज्यों से 13 प्रशिक्षणाथियों ने भाग लिया।
समापन समारोह के मुख्य अतिथि एवं संस्थान के निदेशक एवं कुलपति डा. त्रिवेणी दत्त ने कहा कि उद्यमिता विकास कार्यक्रम का समुचित लाभ मिल सके इसके लिए संस्थान के क्षेत्रीय केन्द्रों तथा परिसरों में भी एग्री इन्कुबेशन केन्द्रों में प्रतिभागियों को प्रशिक्षित किया जायेगा ताकि वे सफल उद्यमी बन सकें। उन्होंने कहा कि युवाओं का कौशल विकास सरकार की सर्वाेच्च प्राथमिकताओं में से एक है और इस उद्देश्य के लिए कौशल विकास और उद्यमिता का एक अलग मंत्रालय स्थापित किया गया है। उन्होंने संस्थान के गौरवशाली इतिहास के बारे में बताते हुए कहा कि हमारा यह संस्थान 135 वर्ष पुराना है तथा इस संस्थान ने कई टीके एवं नैदानिक विकसित किये हैं तथा उनका वाणिज्यकरण किया है।
डा. एस.के. मेंदीरत्ता, संयुक्त निदेशक (शैक्षणिक) ने प्रशिक्षण कार्यक्रम के सफल होने पर आयोजकों को बधाई दी और प्रशिक्षणाथियों से आशा व्यक्त की वे इस अर्जित ज्ञान को अपने व्यवसाय क्षेत्र में अपनाये तथा सफल उद्यमी बनें।
पशुधन उत्पाद प्रौद्योगिकी विभाग के विभागाध्यक्ष डा. ए. आर. सेन ने प्रशिक्षण कार्यक्रम की प्रगति आख्या प्रस्तुत करते हुए कहा कि इस प्रशिक्षण के दौरान प्रशिक्षणार्थियों को स्वच्छ मांस उत्पादन एवं मांस उत्पादों के समुचित उपयोग के महत्त्व पर विस्तार से प्रयोगात्मक प्रशिक्षण दिया गया। इसके अतिरिक्त उद्यमिता विकास के लिए इस क्षेत्र में ऋण देने वाली संस्थान नाबार्ड ने भी भी अपना व्याख्यान दिया।
कार्यक्रम का संचालन आईटीएमयू के प्रभारी डा. अनुज चौहान ने तथा धन्यवाद ज्ञापन डा. देवेन्द्र कुमार ने किया। इस अवसर पर डा. असीम विश्वास, डा. गीता चौहान, डा. तनवीर, डा. सुमन तालुकदार, डा. सागर चन्द, पुनीत कुमार तथा सुरेश कुमार इत्यादि उपस्थित रहे।