सम्भल।ज्ञापन में वार्ष्णेय यूथ संघटन अक्रूर जी महाराज जी के जन्मोत्सव पर सरकारी अवकाश घोषित करने की मांग की अक्रूर जी महाराज वार्ष्णेय समाज के कुलगुरु भी माने जाते है प्रदेश में ही नही अपितु पूरे देश मे अक्रुर जी महाराज का जनमोत्स्व बनाया जाता है।
चन्दौसी में भी हर साल अक्रूर जी महाराज की धूमधाम से शोभायात्रा निकाली जाती है।अक्रुर जी महाराज भगवान कृष्ण जी के काका हुआ करते थे। अक्रूर कृष्णकालीन एक यादववंशी मान्य व्यक्ति थे। ये सात्वत वंश में उत्पन्न महाराजा वृष्णि के पौत्र थे। इनके पिता का नाम श्वफल्क था जिनके साथ काशी के राजा अपनी पुत्री गांदिनी का विवाह किया था। इन्हीं दोनों की संतान होने से अक्रूर श्वफल्कसुत तथा गांदिनीनंदन के नाम से भी प्रसिद्ध थे। अक्रूर जी ही मथुरा के राजा कंस के कहने पर बलराम तथा कृष्ण को वृन्दावन से मथुरा लाए थे। तभी कंस का अंत संभव हो सका।भागवत पुराण के अनुसार स्यमंतक मणि से भी अक्रूर जी का बहुत गहरा संबंध था। अक्रूर तथा कृतवर्मा द्वारा प्रोत्साहित होने पर शतधन्वा ने कृष्ण के श्वसुर तथा सत्यभामा के पिता सत्राजित का वध कर दिया। फलतः क्रुद्ध होकर श्रीकृष्ण ने शतधन्वा को मिथिला तक पीछा कर मार डाला, पर मणि उसके पास नहीं निकली। वह मणि अक्रूर के ही पास थी जो डरकर द्वारिका से बाहर चले गए थे। उन्हें मनाकर कृष्ण मथुरा लाए तथा अपने बंधु वर्गों में बढ़ने वाले कलह को उन्होंने शांत किया।अक्रूर जी महाराज श्री कृष्ण के पिता वसुदेव के परम मित्र व पारिवारिक भ्राता थे इसी कारण कृष्ण और बलराम उन्हें काका श्री कहकर संबोधित करते थे।श्री अक्रूर जी बारह भाई थे।इसी कारण इनके वंशज द्वादशश्रेणी कहलाये जिससे आम बोलचाल की भाषा में बारहसैनी शब्द प्रचलन में आ गया। ज्ञापन देंने में अनुज वार्ष्णेय अन्नू के साथ अमित के एस वार्ष्णेय मोनू वार्ष्णेय अशोक फैंसी वार्ष्णेय मुनीश वार्ष्णेय गिरधर गोपाल आकाश वार्ष्णेय दीपक वार्ष्णेय शुशांत वार्ष्णेय आदि मौजूद रहे।

रिपोर्ट खलील मलिक