सम्भल।उत्तर प्रदेश के शहर सम्भल में वर्षों से आयोजित होते आये अमन शांति की मिसाल नेज़ा मेले पर सियासत की गन्दी नज़र
सम्भल का नेज़ा मेला विश्व प्रसिद्ध है ये मेला 1003 साल से आयोजित होता आ रहा है इसका मुख्य कारण है सय्यद सालार मसूद ग़ाज़ी रह• का बुराई और अशांति के खिलाफ लड़ते हुए शहीद हो जाना और आपकी शहादत को याद करते हुए नेज़ा मेला आयोजित किया जाता है तथा घर घर में आपके नाम की फातिहा का भी खूब एहतेमाम होता है बच्चे बूढ़े मर्द नौजवान सब मिलकर इस में शामिल होते हैं।
दूर दराज के लोग भी बढ़ चढ़ के आते हैं न आज तक किसी को तकलीफ हुई न कोई दिक्कत यहाँ तक की नेज़ा मेले में हिन्दू मुस्लिम दुकानदार बाहर से आकर दुकानें लगाते हैं चार पैसे कमा लेते हैं सालाना मेले के मौके पर मिठाइयां ख़रीदी जाती हैं जो की हिन्दू भाइयों की दुकानों से बिना किसी भेद भाव के ख़रीदी जाती हैं ऐसे में क्या ज़रुरत आन पड़ी की मेले को रोकने का ज्ञापन दिया गया क्या ये आपसी सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश नहीं है।
वर्षो से पुलिस प्रशासन भी पूर्ण सहयोग देता आया है ऐसे में सवाल उठता है।की ज्ञापन देने आये लोगों से पुलिस अफसरान ने ज्ञापन लिया ही क्यूँ ऐसे लोग जो समाज में नफरत फ़ैलाने का काम करते हैं।उनके पीछे कौन लोग हैं सम्भल पुलिस प्रशासन को चाहिए की राष्ट्र रक्षा मंच को तत्काल प्रभाव से भंग कर देना चाहिए जिससे की अमन चैन क़ायम रह सके हमेशा से मुस्लिम समाज ने अमन क़ायम करने में सबसे ज़्यादा योगदान दिया है पुलिस प्रशासन जल्द ही संज्ञान ले…!!

रिपोर्ट= निज़ाम नौशाही सम्भली

सम्भल से खलील मलिक