उझानी। नगर के समीपवर्ती गांव तेहरा में मेरे राम सेवा समिति की ओर से चल रही नौ दिवसीय श्रीराम कथा के तीसरे दिन माता पार्वती का जन्म, तपस्या, कामदेव का भस्म, रति वरदान, शिव पार्वती के विवाह आदि की कथा हुई। कथावाचक सामाजिक संत श्री रवि जी समदर्शी महाराज ने कहा कि मनुष्य जीवन परमात्मा का श्रेष्ठ उपहार है। संसार के सभी प्राणी परमात्मा के ही प्यारे बच्चे हैं। श्रेष्ठ विचारों और पवित्र भावनाओं से सींचकर धरती को स्वर्ग से भी सुन्दर बनाएं। बच्चों को सेवा और संस्कारों से जोड़ें। उन्होंने शिव पार्वती के विवाह की कथा का प्रसंग सुनाया। श्रद्धालु भाव-विभोर हो गए। पर्वतराज हिमालय की घोर तपस्या के बाद माता जगदंबा पार्वती के रूप अवतरित हुई। पार्वती के बड़े होने पर पर्वतराज को उनके विवाह चिंता होने लगी।माता पार्वती शिव भक्त थीं। महर्षि नारद ने भगवान शिव और पार्वती के विवाह का संयोग बताया। भगवान शिव देवता, असुर, भूत-पिशाचों और जीवों के साथ बरात लेकर पहुंचे तो पर्वतराज और उनके परिजन राजा और महाराजा अचंभित हो हुए। माता पार्वती भगवान शिव को पति रूप में स्वीकार किया।देवाचार्य ने वेदमंत्रोंच्चारण कर पूजन कराया। मुख्य यजमान पुष्पेन्द्र यादव रहे। पोषाकी लाल यादव और हरिओम यादव ने आरती की। इस मौके पर अमितानंद महाराज, रजनी मिश्रा, अलंकार सोलंकी, रोनी सक्सेना, अजय पाल, राजभान, विष्णु गुप्ता, अखिलेश मिश्र, मोहित प्रभाकर आदि मौजूद रहे‌।

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