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बदायूं। कलश यात्रा के साथ श्रीमद् भागवत कथा का प्रारंभ शहर के बरेली रोड पुरानी चुंगी स्थित दुर्गा मंदिर में प्रारंभ हुई मंदिर समिति व कथा के आयोजकों ने कथावाचक आचार्य त्रिलोक कृष्ण मुरारी का तिलक, माल्यार्पण कर स्वागत किया कलश यात्रा पुरानी चुंगी दुर्गा मंदिर से प्रारंभ होकर नई सराय पुलिस चौकी, सुभाष चौक, आर्य समाज,पटियाली सराय , शहबाजपुर,टिकटगंज होते हुये दुर्गा मंदिर पर समापन हुई श्रीमद् भागवत कथा प्रारंभ होते ही कथावाचक आचार्य त्रिलोक कृष्ण मुरारी ने सर्वप्रथम कलश यात्रा का वर्णन करते हुए कलश यात्रा के बारे में बताते हुए कहा कि कलश यात्रा में तीनों देव ब्रम्हा, विष्णु व महेश के साथ-साथ 33 कोटि देवी देवता स्वयं कलश में विराजमान होते हैं। वहीं कलश को धारण करने बाली यात्रा जहाँ जहां से भी भ्रमण करती है वहीं की धरा स्वयं सिद्व होती जाती है। जो अपने सिर पर कलश धारण करता है उसकी आत्मा को ईश्वर पवित्र और निर्मल करते हुए अपनी शरण में ले लेते हैं। कथावाचक त्रिलोक कृष्ण मुरारी ने भागवत कथा का वर्णन करते हुए बताया कि १८ पुराण में भागवत को श्रेष्ठ पुराण बताया गया है। उन्होने कहा कि भागवत के एक अक्षर में भी एक-एक वेद का सार है। भागवत की महिमा अपरम्पार है। शुकदेवजी ने तो यहां तक कहा है कि समस्त वेदों की उपासना, तप, जप एवं अनुष्ठान ज्ञान यज्ञ के सोलहवें हिस्से की भी बराबरी नहीं कर सकते हैं। कथा के बीच ‘मेरो प्यारो नंदलाल…’ आदि कई भजन भी गाए गए। भजनों पर श्रद्धालु ने नृत्य भी किया। श्रीमद् भागवत कथा के आयोजन व कलश यात्रा में मुख्य रूप से प्रथम दिवस मंदिर समिति ब आयोजन समिति के पूर्व सभासद नन्हे लाल कश्यप,पूर्व सभासद पुष्पा देवी, राजाराम कश्यप, योगेंद्र सागर, पुनीत कश्यप एडवोकेट , विशाल वैश्य ,बसंत पटवा,हिमांशु कश्यप,अरविंद कुमार, राजकमल साहूँ, प्रमोद साहू,आनंद कश्यप,हर्ष सक्सैना, नितिन कश्यप,सुनील कश्यप, प्रदीप कश्यप, पंडित जुगेंद पांडेय , वैभव पाराशर समेत काफी संख्या में भक्तगण ब आयोजन समिति के लोग मौजूद थे।