बदायूं। जिला अस्पताल में सीएमएस की मेहरबानी कहे या राजनीति दबाब जिसकी बजह से ऑडियोलॉजिस्ट ओपीडी में समय से नहीं बैठती हैं सप्ताह में छह दिन ओपीडी होती हैं जिसमें चार दिन बरेली दो दिन बदायूं में आने का रोस्टर बना हुआ हैं लेकिन ओपीडी के बाहर कोई रोस्टर चस्पा नही किया गया है उनका आना तो होता है। मगर समय से ओपीडी में उपस्थित नहीं होती हैं। जिससे दूर दराज से आने वाले मरीज घंटो इंतजार करने के बाद अपने घर वापस लौट जाते हैं।ऑडियोमेट्री टेस्ट कराने वाले मरीज काफी संख्या में प्रतिदिन ओपीडी के कमरा नं 14 में ऑडियोमेट्री कराने आते हैं। जहां ऑडियोलॉजिस्ट के न मिलने पर घंटों इंतजार कर परेशान होकर मरीज अपने घर वापस लौट जाते हैं।
ऑडियोलॉजिस्ट की जरूरत क्या है-
ऑडियोलॉजिस्ट का काम है कानों की ऑडियोमेट्री करना इसका मतलब है। व्यक्ति के कानों की ध्वनि को चेक करना जो सुनने की क्षमता को जानने के लिए किए जाने वाला एक हियरिंग टेस्ट होता हैं। जिसके लिए ऑडियोमेट्री कहते हैं इससे व्यक्ति के कानों की आवाज की तीव्रता का पता लगाया जाता हैं इसे मेडिकल की भाषा मे इसे ऑडियोमेट्री कहते हैं। ऑडियोमेट्री के काफी मरीज टीवी क्लीनिक विभाग से प्रतिदिन आते हैं।जो बहुत गरीब होतें हैं और किराया खर्च करके दूर दूर गांव से आते हैं जब ऑडियोलॉजिस्ट ओपीडी में नहीं मिलती हैं तो मरीज मायूस होकर अपने गांव बैरंग लौट जाते हैं।
ब्लाक उझानी की मालदेइ निवासी गुराई का कहना हम दूर से आते हैं लेकिन ऑडियोलॉजिस्ट के न मिलने से हमारी कानों की आवाज चेक नही हो पा रही हैं।
पन्ना देवी गांव सिरसा दबरई ने बताया कि हमारे कानों में कम सुनाई देता है। हमे अपने कानों के लिए दिखना हैं मगर क्या करें रोज आते हैं लेकिन ऑडियोलॉजिस्ट नहीं मिलती हैं तो घर वापस लौटना पड़ता हैं।
सीएमओ प्रदीप वार्ष्णेय ने बताया कि अगर दो दिन का बदायूं में रोस्टर तो ओपीडी के बाहर चस्पा करना चाहिए फिर भी चेक करता हूं कि ऑडियोलॉजिस्ट समय से क्यों नही हैं।
रिपोर्टर – भगवान दास