बे ज़ुबा को जब वो ज़बान देता है पढ़ने को फिर वो कुरान देता है बख्श ने पे आए जब उम्मत के गुनाहों को। तो तोहफ़े में गुनहगारों को रमज़ान देता है

सहसवान। रमजान शुरू होते ही बाजार में रौनक वापस आई लोग अपनी रमज़ान की अफ़्तयारी और सेहरी का इन्तजाम करते दिखे पिछले 2 साल से रमजान में लॉकडाउन रहा इसलिए रमजान में बाज़ार बंद रहे लोगों ने घर पर रहकर पूरा महीना इबादत की ओर रोज़े रखे मस्जिद भी बन्द रही लेकिन इस बार मुस्लिम समाज मे एक अजीब सी खुशी देखने को मिल रही है। दुआओ में अल्लाह का शुक्र अदा कर रहे हैं कि दुनिया से कोविड जैसी बुरी बीमारी पर अल्लाह के शुक्र से निजात मिल गई और अब अपनी इबादत मस्जिद में कर सकते है। बाजार में काफ़ी भीडबाड़ देखने को मिली जैसे ही रमज़ान का चांद दिखा लोग एक दूसरे को मुबारक बाद देने लगे फेनी, फ्रूट, चाट, पकोड़ी, खजूर, कचरी के खोमचे से बाज़ार भरा हुआ दिख रहा है। सरो पर टोपियां लगाए नमाज़ी, रोज़ेदार मस्जिदों में नमाज़ अदा करते दिख रहे हैं। रोज़ेदारों का कहना है रमज़ान के इस पाक महीने में अल्लाह की रहमत बरसती है और अल्लाह ताला अपने गुनाहगार बंदों के गुनाहों को इस पाक महीने में बख्श देता है।

रिपोर्टर – सैयद तुफैल अहमद