सहसवान / फायर बिग्रेड का विभाग कर रहा किसी बड़ी अनहोनी का इंतजार टूटी हुई छतों के नीचे सोते हैं फायर बिग्रेड के कर्मचारी

सहसवान 1985 में बने फायर स्टेशन कार्यालय और आवास जो कि आज पूरी तरह खंडहर में तब्दील होते जा रहे हैं बरसात के दिनों में आवास के लेंटर पूरी तरह टूटे-फूटे पढ़े हुए हैं जिनमें से बरसात का पानी टपकता रहता है वही इन आवासों में रह रहे फायर स्टेशन के कर्मचारियों ने बताया इनकी छतों पर पन्नी को डालकर रह रहे हैं तेज हवा चलने के कारण ऊपर से पन्नी उड़ जाती है उन्होंने बताया यह आवाज पूरी तरह टूटे-फूटे पड़े हुए हैं बरसात के दिनों में पूरी रात भर बरसात का पानी टपकता रहता है पता नहीं कब किस वक्त कोई बड़ी अनहोनी हो जाए वहीं कर्मचारियों ने बताया यह बिल्डिंगों का निर्माण सन 1985 के लगभग मैं हुआ है जब से आज तक इन आवासों पर कोई निर्माण कार्य नहीं हुआ है इस बाबत फायर स्टेशन ऑफिसर पूरन लाल सोलंकी से बात की गई तो उन्होंने बताया इसका प्रस्ताव पूर्व में जा चुका है जल्द ही निर्माण कार्य होने की संभावना है लेकिन हैरान करने वाली बात तो यह है कहीं ऐसा ना हो जब तक इन बिल्डिंगों का निर्माण हो जब तक कोई बड़ी अनहोनी ना घट जाए वही फायर स्टेशन के कर्मचारियों ने बताया कि रात के समय में सांप, बिच्छू, नोवले, बिस्कवरे, जैसे जहरीले जीव जंतु आ जाते हैं जिससे आए दिन खतरा बना रहता है वही स्टेशन के चारों ओर झूड झंकार खड़े हुए हैं इन जीव-जंतुओं से बचने के लिए चारों ओर से इसकी बाउंड्री करा दी जाए वहां रह रहे कर्मचारियों को बाउंड्री होने से राहत मिल सकती है!