बदायूं। मुख्य चिकित्साधिकारी कार्यालय में तैनात झोलाछाप नोडल आर्थिक समझौता करके अवैध अस्पतालों में लगी सील खोल दे रहे जबकि उन अस्पतालों में कोई डॉक्टर पैरामेडिकल मौजूद नहीं है आप्रशिक्षित कर्मचारी कार्य कर रहे है। जिससे आए दिन प्रसूताओं की मौत हो रही है अवैध अस्पतालों के संचालकों ने दबी जुबान में स्वीकार किया है कि नोडल अधिकारी ,बाबू संरक्षण देने के बदले उनसे हर महीने कीमत भी वसूलते हैं। नोटिस देने के नाम पर संचालकों को कार्यालय बुलाते हैं उसके बाद उनसे आर्थिक समझौता करके मामले को रफा-दफा कर देते हैं जिसमें झोलाछाप नोडल, बाबू शामिल है।
मुख्य चिकित्साधिकारी ने झोलाछाप बाबू के लिए सख्त निर्देश दिए है। जनपद में अवैध अस्पताल संचालित हो रहे हैं उनके खिलाफ कार्रवाई करके बंद करें।उन्होंने कहा है कि किसी भी सीएचसी क्षेत्र में अवैध अस्पताल संचालित पाए जाते हैं तो संबंधित अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की जाए।
जिले में 300 से अधिक अस्पताल अवैध रूप से संचालित हो रहे। इन अस्पतालों के पंजीकरण से लेकर संचालन तक की पूरी जिम्मेदारी एसीएमओ स्तर के अधिकारी व संबंधित पटल के बाबुओं ने ले रखी है। इन अस्पतालों में न तो महिला डॉक्टर और न ही डिग्री धारक डॉक्टर स्टाफ मौजूद रहते है। अवैध अस्पताल में हर रोज पांच से 06 डिलीवरी झोलाछाप अपने हाथों से कर रहे हैं। एक प्रसव के 20 हजार से लेकर 35 हजार रुपये तक संचालक वसूल रहे हैं। संचालकों के मुताबिक, इसमें से 20 फीसदी कमाई स्वास्थ्य विभाग के नोडल व बाबुओं तक हर माह पहुंच रही है। यही वजह है कि महीने में पांच से छह महिलाएं इन झोलाछापों के हाथ से अपनी जान गवां दे रही है। स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदारों ने अपनी आंखे मूंद रखीं हैं।
स्वास्थ्य विभाग ने पिछले एक साल में झोलाछापों पर न तो कोई कार्रवाई की और न हीं कोई ठोस आदेश इनको बंद कराने का दिया। यही वजह है कि स्वास्थ्य विभाग के नोडल व बाबू निरंकुश होकर खुलेआम लूट कर रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग के झोलाछाप नोडल, बाबू अपनी जेबें भर रहे हैं किसी की “जान” जाए तो जाए हमें तो अपने काम से मतलब है।


मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ रामेश्वर मिश्र ने बताया कि निजी अस्पतालों में डॉक्टर पैरामेडिकल नहीं है उन अस्पतालों के संचालकों के खिलाफ कार्यवाही की जाएगी किसी भी सीएचसी क्षेत्र में अवैध अस्पताल संचालित पाए जाते हैं तो संबंधित अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।