हेपेटाइटिस की चपेट में आने से युवा के लिवर में बढ़ रही सूजन

बदायूं। विश्व हेपेटाइटिस दिवस पर जिला अस्पताल के हाल में सोमवार को एक सेमीनार आयोजित कि गई। जहां हेपेटाइटिस रोग से लड़ने के लिए वैश्विक प्रयासों को बढ़ावा देने के लिए जागरूक किया गया। लोगों को इस बीमारी के बारे में जागरूक करने के लिए हर साल 28 जुलाई को विश्व हेपेटाइटिस दिवस मनाया जाता है। सेमिनार में कहा बी हेपेटाइटिस पॉजिटिव की गर्भवती महिलाओं के लिए सरकार की गाइडलाइन के अनुसार होने वाले बच्चों को हिपैटाइटिस बी इम्यूनो ग्लोबुलिन इंजेक्शन लगाना अनिवार्य है।जिससे होने वाले शिशु को संक्रमित होने से बचाया जा सके।


नोडल अधिकारी एनवीएचसीपी जिला अस्पताल डॉ एसएम कमल ने बताया कि दूषित भोजन-पानी, दूषित रेजर या टूथब्रश का इस्तेमाल और असुरक्षित यौन संबंधों की वजह से जनपद में युवा हेपेटाइटिस ए, बी और सी डी ई की चपेट में आ रहे हैं। इस बीमारी में लिवर में सूजन आ जाती है। इनमें हेपेटाइटिस सी के मरीज सबसे ज्यादा हैं, जिसे काला पीलिया भी कहते हैं। उन्होंने ने बताया कि यहां मई 2022 से 26 जुलाई 2025 तक 43926 हेपेटाइटिस के मरीजों की जांच हुई जिसमें हेपेटाइटिस बीसी के 6264 और सी के 3619 मरीज पॉजिटिव निकले। 2963 हेपेटाइटिस सी के मरीज स्वास्थ हो चुके है। 239 हेपेटाइटिस बी और 656 हेपेटाइटिस सी पॉजिटिव के मरीजों का वर्तमान में इलाज इलाज चल रहा है।


इनमें 25 से 50 साल उम्र वालों की संख्या सबसे अधिक है। जिला अस्पताल में मरीज छह नंबर में ओपीडी में दिखाना होता है। यहां से उसका सैंपल लेकर वायरल लोड के लिए लखनऊ लैब भेजा जाता है। जांच में हेपेटाइटिस सी की पुष्टि होने पर निशुल्क इलाज शुरू किया जाता है। तीन माह दवाइयां खानी पड़ती हैं, फिर जांच होती है, सही होने पर दवाइयां बंद कर दी जाती हैं, नहीं तो दवाइयां अगले तीन माह के लिए जारी रखी जाती हैं। ठीक होने तक यही प्रक्रिया अपनाई जाती है।

जिला नोडल उप मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. मोहम्मद तहसीन ने बताया कि हेपेटाइटिस ए दूषित भोजन या पानी से फैलता है और अमूमन जल्दी ठीक हो जाता है। हेपेटाइटिस बी और सी अधिक गंभीर है। यह रक्त और शारीरिक तरल पदार्थों के माध्यम से फैलते हैं। इससे लिवर को गंभीर नुकसान हो सकता है, कैंसर भी हो सकता है। हेपेटाइटिस सी एक संक्रामक रोग है, जो हेपेटाइटिस सी वायरस एचसीवी की वजह से होता है।

इन कारणों से होती है बीमारी

  • दूषित सिरिंज का उपयोग करना।
  • दूषित रेजर या टूथब्रश का इस्तेमाल।
  • दूषित रक्तदान, अंगदान या लंबे समय तक डायलिसिस द्वारा।
  • दूषित सुईं से टैटू बनवाना या एक्यूपंचर करवाना।
  • असुरक्षित यौन संबंध।

ऐसे करें रोकथाम

  • साफ पानी साफ खाना सफाई का विशेष ध्यान रखें।
  • टैटू बनवाते हुए ध्यान रखें कि नई सुईं नई स्याही जो संक्रमित न हो।

– विशेषकर टॉयलेट से आने के बाद सफाई का ध्यान रखें।

लक्षण

  • डायरिया
  • थकान
  • भूख न लगना
  • उल्टी होना
  • मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द होना
  • यूरिन का रंग गहरा होना
  • मल का रंग पीला हो जाना
  • लिवर का आकार बढ़ जाना
  • त्वचा, आंखों के सफेद भाग, जीभ का रंग पीला पड़ जाना (ये लक्षण पीलिया में दिखाई देते हैं।
    इस अवसर पर एसीएमओ डॉक्टर जावेद हुसैन, सीएमएस जिला अस्पताल डॉ कप्तान सिंह, सीएमएस महिला अस्पताल डॉ इंदुकांत वर्मा, एलटी निखिल सक्सेना, कंप्यूटर ऑपरेटर रोहित सक्सेना, महिला पुरुष डॉक्टर व स्टॉफ मौजूद रहा।
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