सीएनएन न्यूज भारत ब्यूरो महराजगंज :: जब इंसानियत रोती है, तब आवाज़ें सड़कों पर उतरती हैं…बांग्लादेश में एक हिंदू युवक की निर्मम हत्या के विरोध में रविवार को सोनौली के रामजानकी मंदिर परिसर में आक्रोश फूट पड़ा। हिंदू संगठनों से जुड़े लोगों ने शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर घटना को मानवता पर गहरा आघात बताते हुए बांग्लादेश सरकार से दोषियों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई की मांग की।प्रदर्शन के दौरान बड़ी संख्या में लोग एकत्र हुए। हाथों में आक्रोश और जुबां पर न्याय की मांग थी।

“धर्म नहीं, इंसान मरा है—यह संदेश हर दिल ने दोहराया”

प्रदर्शनकारियों ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ नारेबाजी की और कहा कि ऐसी घटनाएं वहां की कानून-व्यवस्था और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगाती हैं।

वक्ताओं ने भारत सरकार से भी इस संवेदनशील मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाने की अपील की, ताकि पीड़ितों को न्याय और अल्पसंख्यकों को सुरक्षा मिल सके।

“खामोशी भी गुनाह है, जब जुल्म सर उठा ले—न्याय की मशाल जले, यही वक्त की पुकार है।”

प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे महंत बाबा शिव नारायण दास ने कहा कि बांग्लादेश सरकार को अपने देश में रह रहे हिंदुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि किसी भी सभ्य समाज में इस तरह की घटनाओं के लिए कोई स्थान नहीं होना चाहिए।

इस अवसर पर रिंकू दास, प्रेम जायसवाल, जुगुल कन्नौजिया, नन्हे जायसवाल, मुरारी गिरी, ओम प्रकाश गिरी, पवन गिरी, सत्यम जायसवाल, अमरजीत राजपूत, गिरजेश पांडेय और अजय यादव सहित कई प्रमुख लोग मौजूद रहे। प्रदर्शन पूरी तरह शांतिपूर्ण रहा, लेकिन संदेश साफ था—“जब तक न्याय नहीं, तब तक आवाज़ बंद नहीं।”