
वित्तीय वर्ष 2025–26 की पहली तिमाही में उत्तर प्रदेश परिवहन विभाग का सशक्त प्रदर्शन
राजस्व, पंजीकरण और ई-मोबिलिटी के क्षेत्र में बहुआयामी प्रगति
उत्तर प्रदेश परिवहन विभाग ने वित्तीय वर्ष 2025–26 की पहली तिमाही (अप्रैल–जून) में उल्लेखनीय उपलब्धियाँ दर्ज करते हुए यह स्पष्ट कर दिया है कि विभाग अब केवल लक्ष्य-आधारित प्रदर्शन से आगे बढ़कर संरचनात्मक परिवर्तन की दिशा में तेज़ी से अग्रसर है। राजस्व संग्रह, इलेक्ट्रिक मोबिलिटी, वाहन पंजीकरण और डिजिटल अनुपालन – चारों प्रमुख क्षेत्रों में विभाग ने न केवल ठोस परिणाम दिए, बल्कि शासन में पारदर्शिता और जन-संलग्नता को भी नए आयाम प्रदान किए।

राजस्व संग्रह: लगातार प्रगति की ओर
- अप्रैल से जून 2025 की तिमाही में विभाग ने कुल ₹2,913.78 करोड़ का राजस्व प्राप्त किया, जो कि पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में ₹274.22 करोड़ अधिक है — यानी 10.39% की वृद्धि।
- इस दौरान तिमाही लक्ष्य का 85.90% हासिल कर लिया गया, जो वार्षिक लक्ष्य ₹14,000 करोड़ की प्राप्ति को व्यवहारिक बनाता है।
- जून 2025 में ₹830.15 करोड़ का राजस्व अर्जित किया गया, जो जून 2024 की तुलना में 4.10% अधिक है — जबकि इस अवधि में ई-वाहनों पर छूट और स्थानांतरण सत्र के चलते आय में संभावित गिरावट की आशंका थी।
ई-मोबिलिटी: उत्तर प्रदेश का निर्णायक नेतृत्व
- तिमाही में 70,770 इलेक्ट्रिक वाहनों को ₹255.50 करोड़ की कर/शुल्क छूट प्रदान की गई।
- इनमें शामिल हैं:
- 5,658 ई-कारें
- 15,434 ई-दोपहिया वाहन
- शेष ई-रिक्शा, ई-कार्ट आदि
- अकेले जून माह में 23,513 ई-वाहनों को ₹94.70 करोड़ की रियायत मिली।
- अब तक प्रदेश में 12.29 लाख इलेक्ट्रिक वाहन पंजीकृत हो चुके हैं — जिससे यह भारत का सबसे बड़ा ईवी-बेस बनने की दिशा में अग्रसर है।
यह परिवर्तन केवल तकनीकी नहीं, बल्कि उपभोक्ताओं की सोच में बदलाव का संकेत है। ईवी अब लो-एंड विकल्प न रहकर मिड और प्रीमियम वर्ग की प्राथमिकता बन चुके हैं।
वाहन पंजीकरण में मजबूती: निजी और व्यावसायिक दोनों क्षेत्र सक्रिय
- तिमाही में कुल 11,77,774 परिवहन वाहनों का पंजीकरण — 16.04% की वृद्धि।
- ई-रिक्शा (पैसेंजर): 10.82% वृद्धि
- ई-कार्ट: 80.26% की तीव्र वृद्धि
- नॉन-ट्रांसपोर्ट वाहनों में भी 9,67,476 पंजीकरण हुए — 12.41% की वृद्धि।
- टू-व्हीलर: 13.73%
- फोर-व्हीलर: 6.09%
इस वृद्धि से स्पष्ट है कि वाहन अब केवल परिवहन का साधन नहीं, बल्कि सामाजिक गतिशीलता और जीवनस्तर का प्रतीक बन चुके हैं।
डिजिटल सेवाएँ और पारदर्शिता: जनता का विश्वास बढ़ा
- कुल कर व शुल्क वसूली का 90% से अधिक भाग ऑनलाइन मोड से हुआ — यह नागरिकों के डिजिटल प्रशासन पर बढ़ते भरोसे का प्रमाण है।
- ड्राइविंग लाइसेंस सेवाओं से ₹84.50 करोड़ और ई-चालान व समन शुल्क से ₹30.45 करोड़ की वसूली हुई।
- तकनीक आधारित प्रवर्तन अब व्यवहारिक रूप से लागू हो चुका है — यह सिर्फ व्यवस्था नहीं, बल्कि प्रशासनिक संस्कृति का हिस्सा बन चुका है।
प्रोत्साहन आधारित कर नीति: स्थिरता के साथ लचीलापन
- जहां ई-वाहनों को ₹255.50 करोड़ की रियायत दी गई, वहीं कुल राजस्व में 10.39% की वृद्धि दर्ज की गई — यह “छूट के बावजूद स्थिर राजस्व” मॉडल की सफलता का प्रमाण है।
- परिवहन कर प्रणाली अब दंडात्मक से हटकर प्रोत्साहनात्मक व सुधारोन्मुखी दिशा में बढ़ रही है।
परिवहन आयुक्त श्री ब्रजेश नारायण सिंह का वक्तव्य:
“यह तिमाही प्रदर्शन केवल आंकड़ों की कहानी नहीं है — यह नीति, प्रौद्योगिकी, पारदर्शिता और जनसहभागिता पर आधारित एक शासन मॉडल की कहानी है। उत्तर प्रदेश अब परिवहन के हर क्षेत्र में एक मॉडल राज्य के रूप में उभर रहा है।”
“आज परिवहन सेवा केवल विभागीय कार्य नहीं, बल्कि सामाजिक परिवर्तन का माध्यम बन चुकी है। यह प्रदर्शन इस बात का प्रमाण है कि उत्तर प्रदेश में नीति और तकनीक मिलकर नागरिकों की आकांक्षाओं को नई दिशा दे रहे हैं।”