प्रदेश में पत्रकारों की सुरक्षा एवं शराब माफिया द्वारा मारे गये प्रतापगढ़ के पत्रकार सुलभ श्रीवास्तव के परिजन को मुआवजा, सरकारी नौकरी और सुरक्षा प्रदान करने हेतु इलेक्ट्रॉनिक मीडिया जर्नलिस्ट एसोसिएशन द्वारा उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य उत्तर प्रदेश शासन को ज्ञापन सौंपा गया.
प्रदेश में विगत वर्षों में अनेक पत्रकारों की हत्याएं कर दी गयी हैं। पत्रकार अपनी जान पर खेलकर सूचनाएं एकत्र करता है। लोक एवं समाजहित में उन खबरों को प्रकाशित और प्रसारित करता है। पत्रकारों के ऐसे साहसिक कार्यों से समाज में स्वच्छता और शुचिता स्थापित करने में शासन को सहयोग ही मिलता है। इसके विपरीत पत्रकार को अपने साहसिक कार्यों के पारितोषिक के रुप में उसे कभी झूठे मुकदमों का सामना करना पड़ता है तो कभी उसे जान देकर उसकी कीमत चुकानी पड़ती है।
महोदय, साहसिक खबरों के प्रकाशन और प्रसारण के पीछे किसी पत्रकार का कोई निजी स्वार्थ या लाभ नहीं होता। वह समाज से अपराध को खत्म करने के शासन के उद्देश्य की पूर्ति ही परोक्ष रूप से करता है। क्योंकि शासन और पत्रकारिता दोनों ही लोकतंत्र के आधार स्तंभ हैं तथा दोनों ही स्वच्छ समाज के निर्माण, राज्य के विकास और लोकहित के लिए समर्पित रहते हैं। ऐसे में समाज के अन्य वर्गों की तरह पत्रकारों की सुरक्षा राज्य का दायित्व है। पत्रकारों के मामले में यह दायित्व और अधिक बढ़ जाता है क्योंकि पत्रकार निजी स्वार्थवश न होकर समाज एवं राज्यहित में अपने प्राणों को दांव पर लगाकर अपने दायित्वों का निर्वहन करता है।
दंगों की स्थिति हो या महामारी की या फिर अपराधियों-माफियाओं के विरुद्ध अभियान हो, ऐसे सभी मामलों में पत्रकार राज्य की पुलिस, प्रशासन के साथ ही कंधे से कंधा मिलाकर कार्य करता है। लेकिन पत्रकारों के पास लोकसेवकों की तरह न सामाजिक सुरक्षा है, न आर्थिक सुरक्षा और न ही विशेष अधिकार, जिससे उसके न रहने पर उसके परिवार को दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर होना पड़ता है।
बीती 13 जून को माफिया द्वारा प्रतापगढ़ के पत्रकार सुलभ श्रीवास्तव की हत्या ताजा उदाहरण है।
एबीपी न्यूज़ चैनल के पत्रकार सुलभ श्रीवास्तव की हत्या तब और संगीन हो जाती है जबकि एक दिन पूर्व ही उन्होंने प्रयागराज के एडीजी को शराब माफिया से अपनी जान को खतरा बताते हुए सुरक्षा की मांग की गयी थी, लेकिन उनकी प्रार्थना को गंभीरता से नहीं लिया गया। ऐसे वातावरण में पत्रकार किस तरह निडर और निष्पक्ष होकर अपने दायित्वों का निर्वहन कर सकेगा? यह ज्वलंत प्रश्न है।
पत्रकारों की सुरक्षा एवं मारे गये पत्रकारों के परिवारों के भरण-पोषण के लिए इलेक्ट्रानिक मीडिया जर्नलिस्ट एसोसिएशन शासन से निम्नलिखित मांग इस आशा और विश्वास के साथ करती है कि इन पर शासन अतिगंभीरता एवं सक्रियता से विचार कर प्रथम प्राथमिकता मानते हुए निर्णय लेगा ताकि हम प्रदेश के पत्रकारों के मन-मस्तिष्क से भय के स्थान पर विश्वास स्थापित हो सके। हमारी मांगें निम्न प्रकार हैं-
1- इलेक्ट्रानिक मीडिया जर्नलिस्ट एसोसिएशन (एमजा) मांग करती है कि प्रदेश में पत्रकार सुरक्षा कानून बनाकर उसे कड़ाई से लागू किया जाये।
2- प्रदेश में पत्रकारों को भी पुलिस एवं अन्य लोकसेवकों की भांति सामाजिक एवं आर्थिक सुरक्षा का विधान किया जाये, जिससे पत्रकार भी भय एवं चिन्ताममुक्त होकर अपने दायित्वों का निर्वहर पूर्ण मनोयोग से कर सकें।
3- शासन स्तर से एक आदेश इस आशय का जारी कराया जाये कि यदि कोई पत्रकार स्वयं अथवा अपने परिवार की जानमाल का खतरा बताते हुए सूचना दे तो उस पर तत्काल प्रथम प्राथमिकता के आधार पर कार्रवाई पुलिस, प्रशासन एवं अन्य सरकारी विभागों द्वारा की जाये।
यदि सुलभ श्रीवास्तव के मामले में ऐसा किया गया होता तो वह आज हमारे बीच होते।
4- अपने दायित्वों के निर्वहन के दौरान यदि किसी पत्रकार की हत्या होती है या उसकी मृत्यु हो जाती है तो उसके परिजन को एक सरकारी नौकरी और उसके बच्चों की शिक्षा का दायित्व राज्य सरकार उठाये, ऐसा विधान शासन द्वारा किया जाये।
5- प्रतापगढ़ के एबीपी न्यूज के दिवंगत पत्रकार सुलभ श्रीवास्तव के परिवार के लिए तत्काल एक करोड़ रुपये का मुआवजा, एक सदस्य को सरकारी नौकरी, उनकी सुरक्षा एवं उनके बच्चों की सम्पूर्ण निःशुल्क शिक्षा की जिम्मेदारी प्रदेश शासन तत्काल उपलब्ध कराये।
6- यह सर्वविदित है कि वर्तमान में प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार अपराध और भयमुक्त समाज की स्थापना के लिए कटिबद्ध है। अनेक अपराधियों एवं माफियाओं का अंत इसका जीवंत प्रमाण है। प्रतापगढ़ के एबीपी न्यूज के दिवंगत पत्रकार सुलभ श्रीवास्तव मौत की निष्पक्ष जांचएवं उनके हत्यारों एवं हत्या के षडयंत्रकारियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई भी इसी तरह से की जाये। जिससे प्रतापगढ़ से माफिया अंत हो सके और दिवंगत पत्रकार सुलभ श्रीवास्तव के प्राणों की आहुति व्यर्थ नहीं जाये। यही शासन की ओर से उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि भी होगी।
7- पत्रकारों की हत्या के मामलों में उन्हें दी जाने वाली सहायता राशि एक करोड़ निर्धारित की जाये। बाद में उसकी पूर्ण अथवा आंशिक वसूली का विधान पत्रकार के हत्यारों, हत्या के षडयंत्रकारियों या माफिया की सम्पत्ति को कुर्क करके किये जाने का विधान भी बनाया जाये। जिससे कोई भी माफिया या अपराधी पत्रकारों की हत्या जैसा जघन्य एवं दुस्साहसिक कृत्य करने से पूर्व सौ बार सोचने को विवश हो जाये।
इससे भविष्य में ऐसी वारदातों पर रोक लगाने में सहायता मिलेगी। इलेक्ट्रानिक मीडिया जर्नलिस्ट एसोसिएशन मांग करती है कि हमारी मांगों पर यथाशीघ्र कार्रवाई करते हुए कृत कार्यवाही से हमें समय-समय पर अवगत भी कराया जाये।