बदायूं। बिना पंजीकरण के जिले में निजी अस्पताल, क्लीनिक और पैथोलॉजी लैब संचालित हो रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी इसको लेकर अनभिज्ञ बने हुए है। डीएम के आदेश के बाद भी झोलाछाप छापेमारी अभियान नहीं चलाया गया। जबकि खबर प्रकाशित होने पर कुछ क्लीनिक और अस्पतालों पर कार्रवाई तो की गई है,लेकिन विभागीय स्तर से इसकी ठोस जांच नहीं होती है।डीएम की बैठक में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि 104 निजी अस्पताल स्वास्थ्य विभाग द्वारा पंजीकृत है। जबकि जिले में छह सौ से अधिक क्लीनिक नर्सिंग होम संचालित हो रहे है।

जिले में कई मेडिकल के नाम पर क्लीनिक, तो कही बिना पंजीकरण के निजी अस्पताल संचालित हो रहे हैं। कई ऐसे भी हैं जो कार्रवाई होने के बाद नाम बदलकर क्लीनिक और निजी अस्पताल का संचालन कर रहे हैं। जिम्मेदार अनजान बने हैं। जिसका खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ता है। पूर्व में झोलाछाप के इलाज से मौतें हो चुकी है।

बिसौली कोतवाली क्षेत्र के गांव फिरोजपुर निवासी रावेंद्र की 24 वर्षीय गर्भवती पत्नी मीना की 29 अक्तूबर को झोलाछाप के इलाज से मौत हो गई। विभाग ने कार्रवाई तो दूर जांच तक करना उचित नहीं समझा।

झोलाछाप के इलाज से नवजात की गई जान

कस्बा बिनावर में झोलाछाप के इलाज से 17 अक्तूबर को नवजात की मौत हो गई। मौत के बाद परिजनों ने हंगामा भी किया लेकिन विभाग ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की। केवल नोटिस चस्पा कर अपनी जिम्मेदारी से इतिश्री कर ली।
जांच में पता चला कि अस्पताल का कोई पंजीकरण नहीं था और न ही चिकित्सक के पास कोई डिग्री जिसकी वजह से विभागीय कार्य प्रणाली पर सवाल खड़े हो गए।


जिले में सैकड़ों क्लीनिक व लैब बिना पंजीकरण के चल रहे है। बिनावर, विजयनगला, मलगांव, कुंवरगांव वजीरगंज, खेड़ा नवादा,मीरा सराय,उसावां रोड़,दातागंज क्रासिंग आदि स्थानों पर संचालित निजी अस्पताल, क्लीनिक, पैथोलॉजी लैब, मेडिकल स्टोर की जांच की जाए तो हकीकत सामने आएगी। स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों के इसारे पर निजी अस्पताल लैब क्लीनिक संचालित है। यहां विभागीय अधिकारी जल्द जांच करने नहीं पहुंचते हैं।
बिनावर सीएचसी प्रभारी डॉ नरेंद्र पटेल ने बताया कि सीएमओ के द्वारा झोलाछाप की छापेमारी के लिए आदेश हुआ है जिस पर जल्द कार्रवाई की जाएगी।

सीएमओ डॉ रामेश्वर मिश्रा से इस संबंध में फोन से बात करनी चाहिए तो फोन नहीं लगा।

रिपोर्टर भगवान दास