चार वर्षों में सबसे कम 6.4 प्रतिशत रह सकती है विकास दर। देश के अधिकतर अखबारों में यह आज प्रमुख खबर है, जिसको लेकर अगर कोई वास्तव में दुखी है तो वह देश के गरीब एवं मेहनतकश समाज के लाोग हैं जो अपनी बदहाल जिन्दगी जीने के बावजूद देश के बारे में कुछ भी अहित सुनने को तैयार नहीं।

विश्व बाजार में रुपए के लगातार घटते भाव से भले ही गरीबों का सीधा सम्बंध ना हो, फिर भी उससे वह खुश नहीं। सरकार को चाहिए कि उन करोड़ों लोगों की भावनाओं की कद्र करते हुए उनके ‘अच्छे दिन’ हेतु 24 घण्टे की संकीर्ण राजनीति को त्यागकर जन व देशहित की चिन्ताओं पर ध्यान केन्द्रित करे।

रिपोर्टर सचिन गुप्ता जिला एटा

La ce temperatură Cum să scapi de buruieni în grădina Cum să faceți
slot thailand