उच्च न्यायालय इलाहाबाद के वरिष्ठ अधिवक्ता ने मामले का किया खुलासा
भूगोल विषय के सहायक प्राध्यापक रमरेज और समरेज बने चर्चा का विषय
मात्र 7 माह के अंतर के दो सगे भाईयों को विश्वविद्यालय प्रशासन ने एक ही विषय के शिक्षक पद पर दे दिया है अनुमोदन
मिल्कीपुर अयोध्या डॉ राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय अयोध्या से सम्बद्ध तपस्थली महाविद्यालय डीली सरैया में मात्र 7 माह के अंतर पर पैदा हुए दो अनुमोदित शिक्षक विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर
अपलोड ऑनलाइन सूची में दर्ज इन दिनों क्षेत्र में चर्चा का विषय बन गए हैं। कोड नं 959 महाविद्यालय में भूगोल विषय हेतु अनुमोदित दो शिक्षक रमरेज और समरेज आखिर कौन हैं, महाविद्यालय के अनुमोदित
शिक्षकों की सूची में दर्ज दोनों शिक्षकों के पिता का नाम मोहम्मद अतीक दर्ज है। कहीं इलाहाबाद के पूर्व सांसद स्वर्गीय मोहम्मद अतीक का काला धन उक्त
महाविद्यालय में तो नहीं लगाया गया और उनके दो बेटों को बतौर शिक्षक भी अनुमोदित शिक्षकों की सूची में दर्ज करा लिया गया है। मामले का खुलासा कांग्रेसी नेता एवं
हाई कोर्ट इलाहाबाद की अधिवक्ता पवन कुमार पांडे ने वीडियो जारी करके किया है। शिकायतकर्ता पवन कुमार पांडे का आरोप है कि तपस्थली महाविद्यालय के
शिक्षकों की सूची में कोड नंबर RML AU 302866 पर रमरेज पुत्र मोहम्मद अतीक जिनकी जन्मतिथि 9 मई 1982 अंकित है। दूसरे कोड नंबर RML AU 302895
पर समरेज पुत्र मोहम्मद अतीक जिनकी जन्मतिथि 9 दिसम्बर 1982 है। दोनों सगे भाइयों को महाविद्यालय के भूगोल विषय का सहायक प्राध्यापक बनाया गया है।
शिकायतकर्ता का आरोप है कि उनके द्वारा जेल में निरुद्ध रहते हुए 22 मई 2023 को डॉ राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय अयोध्या के कुल सचिव से
जन सूचना मांगा गया था। जन सूचना का जवाब न मिलने के बाद पीड़ित पवन पांडे ने 10 जुलाई 2023 को प्रथम अपील की और मुख्यमंत्री के जनसुनवाई
पोर्टल पर भी शिकायत किया। निर्धारित समयावधि बीत जाने के बाद निस्तारण अधिकारी द्वारा 13 दिसंबर 2024 को श्री राम जानकी एजुकेशनल कॉलेज के पद
पर एक व्यक्ति द्वारा पवन कुमार पांडे के खिलाफ दर्ज मुकदमों का हवाला देते हुए दिए गए विवरण के साथ संदर्भ गत प्रकरण को निराधार बताया गया साथ ही इस
पत्र को आधार मानकर निस्तारण अधिकारी द्वारा शिकायत का निस्तारण कर दिया गया। इस प्रकार से क्या तपस्थली महाविद्यालय के प्रबंधक अवधेश शुक्ला का अतीक से कोई संबंध तो नहीं है। जन सूचना अधिकार अधिनियम के तहत मांगी गई सूचनाओं का जवाब देने से आखिरकार विश्वविद्यालय प्रशासन क्यों कतरा रहा है यह सब अनसुलझे सवाल एक बड़े भ्रष्टाचार और घोटाले की ओर जरूरी इशारा कर रहे हैं।
रिपोर्टर सचिन गुप्ता जिला एटा