बदायूं: साथ जिएंगे साथ मरेंगे, का वचन निभाने के लिए सुहागिनों ने रविवार को पति की लंबी आयु की कामना कर निराजल रहकर करवाचौथ का व्रत किया। पूरे दिन बिना अन्न जल के रहने के बाद देर शाम महिलाओं ने पति की लंबी आयु के लिए शिव, पार्वती और परिवार में सुख समृद्धि के लिए लक्ष्मी गणेश की पूजा की।शाम को जैसे ही चांद का दीदार हुआ सुहागिन महिलाओं ने पति की पूजा कर उनके हाथों से पानी पीकर व्रत का पारन

किया। व्रत के बीच रविवार को भी महिलाओं ने खरीदारी की। इस दौरान मेहंदी लगवाने के लिए ब्यूटी पार्लरों में दिनभर महिलाओं की भीड़ लगी रही। अधिकांश ब्यूटी पार्लर संचालिका ने घरों पर पहुंचकर लोगों को मेंहदी लगाई।करवाचौथ का व्रत सती सावित्री के समय से शुरू हुआ था। जिस समय यमराज ने सत्यवान के प्राण हर लिए तो उस समय सत्यवान और सावित्री मिट्टी के पात्र से पानी पीने की तैयारी में थे। उस दिन कार्तिक शुक्ल पक्ष की चौथ थी। लेकिन पानी ग्रहण करने से पहले ही यमराज सत्यवान के प्राण हर कर ले गए। तब सावित्री भी उनके पीछे पीछे गई और यमराज से अपने पति को बचा कर ले आई। उसके बाद ही सावित्री ने मिट्टी के पात्र से जल ग्रहण किया था।


इसी मान्यता के तहत उघैती,खितौरा ,सहित इलाकों में करवाचौथ का पर्व श्रद्धा से मनाया गया। इस दौरान सुबह से ही महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए निराजल व्रत रखी और दिन में करवाचौथ से जुड़ी कहानियां मंदिरों तथा एक दूसरे के घरों में जाकर सुनीं। इस दौरान सभी घरों में महिलाओं ने अलग-अलग तरह के व्यंजन भी बनाए। शाम को आसमान में जैसे ही चांद का दीदार हुआ लोगों के चेहरे खिल गए। सुहागिनों ने अपने जीवन साथी के साथ चांद का दीदार किया और दिन भर की उम्मीदों को मूर्त रूप दे दिया। चांद को अर्घ्य दिया और सजना ने अपने हाथ से सजनी को पानी पिलाकर व्रत खुलवाया। इस दौरान सभी छतों पर महिलाएं एक साथ दिखाई दीं।

रिपोर्टर अकरम मलिक