सीएनएन न्यूज भारत ब्यूरो महराजगंज ::महराजगंज जिले के मिठौरा क्षेत्र के ग्राम पंचायत करौता, टीकर और परसौनी में विजयादशमी को नेपाली मूल के ब्राह्मण परिवारों ने हर्षोल्लास के दशई (दशहरा) पर्व के रूप में मनाया। पारिवारिक एकता, प्रेम व सम्मान के प्रतीक इस पर्व में नेपाली परिवार के बुजुर्गों ने अपनी परम्परा के अनुसार घर के सदस्यों और पारिवारिक मित्रों को जमारा बांटकर, टीका लगाया और प्रसाद वितरित किया। पूर्व प्रधानाचार्य पुरुषोत्तम प्रसाद त्रिपाठी ने बताया कि नेपाली संस्कृति में विजयादशमी पर टीका लगाने की परम्परा दशई (दशहरा) त्यौहार का एक प्रमुख हिस्सा है। यह नेपाली समाज में परिवार और रिश्तों के महत्व को दर्शाता है। इस परम्परा के अनुसार परिवार के बुजुर्ग अपने बच्चों, रिश्तेदारों को टीका लगाते हैं। उनके कान या सिर पर जमारा रखते हैं। जमारा एक विशेष प्रकार का पौधा होता है जिसे नवरात्रि के पहले दिन बोया जाता है। विजयादशमी के इसे शुभ माना जाता है। यह धार्मिक अनुष्ठान बड़ों का आशीर्वाद प्राप्त करने और परिवार की एकजुटता का प्रतीक है। करौता निवासी कुलदीपक त्रिपाठी ने बताया कि दशई पर्व का सबसे महत्वपूर्ण दिन होता है, जब लोग नए कपड़े पहनते हैं और बड़ों से टीका और आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। खासतौर पर महिलाएँ चावल, सिंदूर और दही से टीका तैयार करती हैं, जिसे बुजुर्ग अपने परिवार के छोटे सदस्यों को लगाते हैं। यह पर्व सही मार्ग पर चलने और बेहतर भविष्य की कामना का प्रतीक है। प्रधान संघ जिलाध्यक्ष अनिल जोशी ने बताया कि दशईं के समय परिवार के सभी सदस्य बुजुर्गों से टीका और आशीर्वाद लेने के लिए एकत्र होते हैं। लाल टीका पारिवारिक संबंधों की मजबूती और खून के बंधन का प्रतीक है, जो परिवार को एक साथ बांधता है। इस दिन, घर से दूर रहने वाले सभी सदस्य अपने परिवार से मिलने आते हैं और उत्सव मनाते हैं।समाजसेवी ज्ञानेंद्र त्रिपाठी ने दशईं को पुनर्मिलन का पर्व बताते हुए कहा कि यह त्योहार परिवारों को एक साथ लाने और नेपाली व्यंजनों का आनंद लेने का अवसर प्रदान करता है। हर जगह उत्साह और आनंद का माहौल होता है, जब लोग इस पर्व को मिल-जुलकर मनाते हैं। यह समय लोगों के बीच खुशी और एकता का संदेश फैलाता है।जमुना प्रसाद शम्भू प्रसाद इंटर कॉलेज टिकर की प्रबंधक संध्या त्रिपाठी ने दशईं उत्सव को भारतीय दशहरे का नेपाली संस्करण बताया। दशईं उत्सव 10 दिनों तक चलता है, प्रत्येक दिन के अलग-अलग धार्मिक अनुष्ठान और महत्व होते हैं।