Priceless trees will be cut for life for a few heroes
सतना के छतरपुर में इस समय सोसल मीडिया में कुछ इस प्रकार की खबर सुनने को मिल रही है कि मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले की बकस्वाहा तहसील में भारत का सबसे बड़ा हीरा भंडार मिला है लेकिन यह हीरो का भंडार जंगल की जमीन के नीचे है। जंगल में लगभग 2.15 लाख पेड़ लगे हुए हैं जिनमें से 40हजार सागोंन के हैं। बताना जरूरी है कि पेड़ जितना पुराना होता है मनुष्य को जीवन के लिए उतनी ही अधिक ऑक्सीजन देता है एवं प्रकृति के लिए उपयोगी होता है। सरकार हीरा निकालने के लिए जंगल काटकर खदान बना देने का प्रोजेक्ट सुरु किया है।। जब इस बात की पुष्टि के लिए हमारे संवाददाता कुलदीप द्विवेदी ने छतरपुर एस डी एम श्री त्रिलोक पोषण सिंह से जानकारी ली तो पता चला कि बंदर डायमंड प्रोजेक्ट के तहत इस स्थान का सर्वे 20 साल पहले शुरू हुआ था । दो साल पहले प्रदेश सरकार ने इस जंगल की नीलामी की .जिसमें आदित्य बिड़ला समूह की एस्सेल माइनिंग एंड इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने सबसे ज्यादा बोली लगाई । तभी प्रदेश सरकार यह जमीन इस कंपनी को 50 साल के लिए लीज पर दे रही है । इस जंगल में 62.64 हेक्टेयर क्षेत्र हीरे निकालने के लिए चिह्नित किया है. यहीं पर खदान बनाई जाएगी लेकिन कंपनी ने 382.131 हेक्टेयर का जंगल मांगा है , बाकी 205 हेक्टेयर जमीन का उपयोग खनन करने और प्रोसेस के दौरान खदानों से निकला मलबा डंप करने में किया जा सके । इस काम में कंपनी 2500 करोड़ रुपए खर्च करने जा रही है । पहले आस्ट्रेलियाई कंपनी रियोटिंटो ने खनन लीज के लिए आवेदन किया था । मई 2017 में संशोधित प्रस्ताव पर पर्यावरण मंत्रालय के अंतिम फैसले से पहले ही रियो टिंटो ने यहां काम करने से इनकार कर दिया था ।
ऐसे पता चला यहां हीरे हैं 2000 से 2005 के बीच सर्वे कराया था बुंदेलखंड क्षेत्र में हीरा की खोज के लिए मप्र सरकार ने सर्वे आस्ट्रेलियाई कंपनी रियोटिंटो ने किया था । सर्वे में टीम को नाले के किनारे किंबरलाइट पत्थर की चट्टान दिखाई दी । हीरा किंबरलाइट की चट्टानों में मिलता है । राजस्व जमीन पर जंगल विकसित करेंगे ^ जहां बंदर प्रोजेक्ट की खदान बनना है , वहां अभी 2.15 लाख पेड़ का जंगल है । इस जंगल के बदले बकस्वाहा तहसील में ही 382.131 हेक्टेयर राजस्व जमीन को वनभूमि में डायवर्ट करने का प्रस्ताव कलेक्टर छतरपुर ने दिया है । इस जमीन पर जंगल विकसित करने पर आने वाली लागत का भुगतान कंपनी करेगी ।
फिलहाल प्रोजेक्ट केश अभी कोर्ट पर है निराकरण के बाद ही कोई बड़ा कदम उठाया जा सकता है। ऐसे में शिवराज सरकार पर सवाल उठता है कि क्या वो दिन भूल गए कि कई हज्जारों की तादात में लोग इसी ऑक्सीजन की वजह से मरे है? साथ दोहरी राजनीति कर मध्यप्रदेश शिवराज सरकार आम जनमानस से ट्यूट के माध्यम से बृक्ष लगाने के लिए अपील कर रही है। वहीं दूसरी तरफ हीरों की खोज के लिये जंगल ही उजाड़ दिया जायेगा. आखिर जनता के सपक्ष शिवराज सरकार का मुखौटा सामने आ ही गया।।
सी एन न्यूज़ भारत के लिए ओम प्रकाश की रिपोर्ट।