बदायूं। जिले में चारों तरफ झोलाछाप व अवैध निजी अस्पतालों की भरमार है। यह बात किसी से छिपी नहीं है। इनके खिलाफ बड़े पैमाने पर अभियान चलाकर कार्रवाई की जरूरत है। स्वास्थ्य महकमा दावे तो बड़े बड़े कर रहा है, लेकिन धरातल पर करवाई जीरो हैं। सीएम और स्वास्थ्य मंत्री से लेकर अब तक काफी शिकायतें हो चुकी हैं जिसमें अवैध वसूली व अधिकारियों की मिलीभगत के आरोप लगे हैं। इसके बावजूद कार्रवाई नहीं हो रही है। अब लोग दबी जुबान से कहने लगे हैं कि आरोपों में कहीं न कहीं सच्चाई तो जरूर है।
जिला मुख्यालय से लेकर ग्रामीण अंचल तक झोलाछाप डॉक्टरों की भरमार हैं और नियमों के विपरीत निजी अस्पताल चल रहे हैं। फिलहाल में विभाग में लगभग 72 अस्पताल व क्लीनिक ही पंजीकृत हैं। जबकि, पूरे जिले में करीब 600 से अधिक ऐसे क्लीनिक और नर्सिंग होम संचालित हो रहे हैं। बड़े पैमाने पर नियमों के विपरीत क्लीनिक व अस्पताल शहर से लेकर दातागंज, उसावां, उसैहत, ककराला अलापुर,सहसवान,दहगवां, बिल्सी,बिसौली बजीरगंज बिनावर,कुंवरगांव तक चल रहे हैं। हाल में ही झोलाछाप डॉक्टरों की इलाज से कई मरीजों की मौत हो चुकी है स्वास्थ्य विभाग पर इन्हें संरक्षण देने के आरोप जब-तब लगते रहते हैं। कुछ समय पूर्व एक निजी अस्पताल की महिला संचालक सरकारी स्टॉफ नर्स शेखूपुर के नाम एफआईआर भी हो चुकी हैं। बिनावर में एक झोलाछाप डॉक्टर के इलाज से गर्भवती महिला पिंकी की मौत हो चुकी है। जिसकी शिकायत थाना कुंवरगांव में एक सितंबर को परिजनों ने की है। इसमें नियमों के विपरीत अस्पतालों के लाइसेंस देने व अवैध वसूली करने के आरोप लगाए थे।
मंडल प्रवक्ता भारतीय किसान यूनियन राजेश सक्सेना ने भी विभाग के एक बाबू,डाक्टर पर नर्सिंग होम संचालकों से अवैध वसूली करने के आरोप लगाए हैं। यही नहीं, नियमों के विपरीत अस्पतालों व क्लीनिकों के लाइसेंस जारी करने समेत अन्य गंभीर आरोप लगाए थे। जनवरी से लेकर अब तक शिकायतें हुई । लेकिन, नतीजा जीरो रहा।
इधर, पिछले कई दिनों से अवैध क्लीनिक व अस्पतालों का मुद्दा एक बार फिर गरमाया है। महकमे के अधिकारी इन पर कार्रवाई की बात तो कह रहे हैं, लेकिन धरातल पर कुछ होता नजर नहीं आ रहा है। ऐसे में झोलाछाप को विभागीय संरक्षण के आरोपों में सच्चाई झलकने लगी है।

झोलाछाप पर कार्रवाई के लिए जिला मुख्यालय में एक डिप्टी सीएमओ को नोडल बनाया जाता है। अभी तक यही टीम पूरे जिले में कार्रवाई करती आ रही थी लेकिन, तत्कालीन सीएमओ डॉ प्रदीप वार्ष्णेय ने सीएचसी पर तैनात प्रभारी चिकित्साधिकारियों को भी जांच का अधिकार दे दिया था।

झोलाछाप व अवैध अस्पतालों की शिकायतें मिल रहीं हैं। इसे देखते हुए नोडल अधिकारी डॉ जावेद हुसैन को भी जांच का अधिकार दिया गया है। जल्द ही प्रशासन की मदद से बड़े पैमाने पर अभियान चलाकर ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। सीएमओ डॉ रामेश्वर मिश्रा।