पीलीभीत बरेली में भूमि अधिग्रहण की जांच के चलते बरेली से एसएलओ कार्यालय के स्टाफ को पीलीभीत भेजा गया हैँ । मुआवजा सत्यापन का काम आंशिक रूप से रुका है। पिछले महीने भूमि अधिग्रहण और मुआवजा वितरण में घोटाले का मामला…

बरेली में चल चल रही भूमि अधिग्रहण की जांच मामले में पीलीभीत एसएलओ कार्यालय से स्टाफ को सहयोग करने के लिए बरेली बुला लिया गया है। ऐसे में फिलहाल मुआवजा सत्यापन आदि की फाइलों का काम आंशिक तौर पर रोका गया है। जांच पूरी होने के बाद स्टाफ लौटने पर ही अब काम शुरू होगा। पिछले माह बरेली पीलीभीत सितारगंज प्रस्तावित हाइवे की जमीन अधिग्रहण और मुआवजा वितरण में हुए कथित घोटाले का मामला निकला था। इसके तार पीलीभीत से लेकर उत्तराखंड के सितारगंज से जुड़ जाने से खलबली मच गई थी। मामले में तमाम मीडिया रिपोर्ट्स पर पहले डीएम बरेली उसके बाद कमिश्नर ने दो अलग अलग जांच टीमों का गठन किया था। बीते दिवस पीलीभीत एसएलओ विजय वर्धन तोमर ने भूमि अधिग्रहण व अंश निर्धारण और मुआवजा वितरण के सभी दस्तावेजों को बरेली में एडिशनल कमिश्नर प्रीती जायसवाल को सौंप दिया था। चूंकि मामले के तार तीन जनपदों से जुड़े हुए थे। ऐसे में एसएलओ पीलीभीत दफ्तर के तीनों ही लिपिकों को बरेली रोक लिया या था। ताकि समय समय पर दस्तावेजों को देख कर जीष्ठ निकाला जा सके।

बीते दिवस केवल दो लिपिकों को बरेली बुलाया गया था। इनमे लिपिक विपिन पांडेय और बदायूं से यहां संबंद्ध किए गए अनुज कुमार थे। जबकि गुरुवार को एसएलओ दफ्तर से जुड़े तीसरे लिपिक शोभित को भी बरेली में सहयोग के लिए बुलवा लिया गया। बताया गया है कि मुआवजा, अंश निर्धारण और भूमि अधिग्रहण को लेकर दस्तावेजों में सहयोग के लिए कर्मी भेजे गए हैं।

जांच पूरी होने पर दिखेगी रफ्तार

एसएलओ दफ्तर के सभी लिपिक बरेली बुला लिए जाने से पीलीभीत में मुआवजा संबंधी दस्तावेजों का कार्य आंशिक तौर पर सुस्त पड़ गया था । बताया गया है कि अब जांच संपन्न होगी तब शेष फाइलों के सत्यापन की प्रक्रिया आगे बढ़ेगी। फिलहाल काम रुका हुआ है। हालांकि अधिकारियों का कहना है कि मुआवजा पत्रावलियों पर लगातार काम चल रहा है। एक एक बिंदु पर गंभीरता से गौर करते हुए ही फाइलों का ओके किया जा रहा है।

भूमि अध्यापित अधिकारी ने बरेली पहुंचकर जांच कमेटी के समक्ष उपस्थित होकर दी जानकारी..

। बरेली पीलीभीत सितारगंज हाईवे भूमि अधिग्रहण घोटाले के मामले में भूमि अध्यापित अधिकारी/सिटी मजिस्ट्रेट ने बरेली पहुंचकर मंडलायुक्त द्वारा गठित जांच कमेटी के समक्ष उपस्थित होकर जानकारी दी। एक दिन पूर्व उन्होंने जांच कमेटी को भूमि अधिग्रहण संबंधी दस्तावेज सौंपे थे।

बरेली-सितारगंज फोरलेन हाईवे के भूमि अधिग्रहण घोटाले को लेकर बरेली डीएम द्वारा गठित जांच कमेटी मामले की जांच कर रही है। वहीं शासन की ओर से मंडलायुक्त सौम्या अग्रवाल से भी पूरे मामले की रिपोर्ट तलब की थी । इसको लेकर मंडलायुक्त द्वारा पांच सदस्यीय जांच कमेटी गठित कर जांच करने के निर्देश दिए गए हैं।

जांच कमेटी ने कमिश्नरी स्तर से पीलीभीत क्षेत्र में हुए अधिग्रहण और मुआवजा वितरण को लेकर जानकारियां एवं दस्तावेज मांगे थे। मंगलवार शाम भूमि अध्याप्ति अधिकारी/ सिटी मजिस्ट्रेट विजय वर्धन तोमर ने बरेली पहुंचकर जांच कमेटी में शामिल अपर आयुक्त (प्रशासन) प्रीति जायसवाल को दस्तावेज सौंपे थे।

इधर बुधवार को भूमि अध्याप्ति अधिकारी/ सिटी मजिस्ट्रेट मंडलायुक्त की जांच कमेटी के समक्ष उपस्थित हुए थे और संबंधित जानकारियां दीं। उनके साथ एसएलओ कार्यालय का स्टाफ भी मौजूद रहा था ।

71 KM का हाईवे, 50 करोड़ का घोटाला, कई अधिकारियों पर गिरी गाज,लेखपाल ही नहीं SDM के भी छूटे पसीने..


2020 में बरेली से सितारगंज हाईवे बनने की मंजूरी मिली थी. दरअसल, 71 km का यह हाईवे में 2 लेन का था, जिसे सरकार ने 4 लेन बनाने के लिए मंजूरी दी थी. अब हाईवे के इस प्रोजेक्ट में 50 करोड़ के घोटाले की खबर सामने आई है. इसमें कई बड़े-बड़े अधिकारियों के भी नाम सामने आ रहे हैं. आइए जानते हैं पूरा मामला
बरेली: यूपी में हाईवे के निर्माण में बड़ा मामला सामने आया है. 2020 में बरेली, पीलीभीत, सितारगंज 71 km हाईवे की मंजूरी मिली थी. जिसको करीब 2900 करोड़ रुपये लागत से बनाया गया था. वहीं अब इस मे करीब 50 करोड़ का घोटाला सामने आया है. एनएचएआई के परियोजना निदेशक (पीडी) रहे बीपी पाठक औरपर्यवेक्षण की जिम्मेदारी संभालने वाले लखनऊ के क्षेत्रीय अधिकारी (आरओ) संजीव कुमार शर्मा को निलंबित कर दिया है. वहीं एनएचएआई के चेयरमैन संतोष यादव की बड़ी कार्रवाई के बाद ईओडब्ल्यू, एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) या स्टेट विजिलेंस से जांच कराने के लिए यूपी के मुख्य सचिव को पत्र लिखा है. इसकी जांच होने पर कई लेखपाल, कानूनगों, तहसीलदार, एसडीएम स्तर के अधिकारियों पर आंच आना तय है.

दरअसल 2020 में बरेली से पीलीभीत और उत्तराखंड की सीमा सितारगंज को जोड़ने वाला 71 km हाईवे दो लेन का था. इस हाइवे को 4 लेन करने की मंजूरी मिली. 2020 में मंजूरी मिलने के बाद नक्शे में कोई बुखण्ड नहीं था और 2021 में जमीन के अधिग्रहण के लिए अधिसूचना हो गई. 2022 में कई स्ट्रक्चर बना दिए गए. जिसके मुआवजे के लिए लेखपाल कानून को तहसीलदार और एसडीएम स्तर के अधिकारियों की रिपोर्ट के बाद कारी स्ट्रक्चर पर 50 करोड़ रुपए की हेरा फेरी कर ली गई. जो स्ट्रक्चर नहीं बने हुए थे उन स्ट्रक्चर के ऊपर बिल्डिंग बनाकर रुपया दिला दिया गया. इस बात की जानकारी होने पर एनएचएआई के अध्यक्ष संतोष यादव को 15 जून को फर्जीवाड़े का शक होने पर मुख्यालय को जानकारी मिलने पर जांच कराई. 3 अगस्त को जांच कमेटी ने एनएचएआई के चेयरमैन को प्रारंभिक जांच रिपोर्ट सौंपी. जिसके बाद घोटाला सामने आया.

हाईवे के भूमि अधिग्रहण घोटाले में बरेली, पीलीभीत और उत्तराखंड के ऊधमसिंह नगर के लेखपाल से लेकर एडीएम स्तर तक के 50 से ज्यादा अधिकारी-कर्मचारी जांच के दायरे में हैं. जांच में सबसे ज्यादा बड़े 5 मामले पीलीभीत जिले के, एक मामला ऊधमसिंह नगर का. हालांकि बरेली का अभी कोई मामला सामने नहीं आया है. जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया में 50 करोड़ के घोटाला सामने आने पर इस मामले में एनएचएआई के दो अधिकारी निलंबित हो चुके हैं. वहीं मूल्यांकन में फर्जीवाड़ा करने वाले किसी भी राजस्व अधिकारी कर्मचारी पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है. मुख्य सचिव से मामले की जांच कराने होने पर कई औरों की गर्दन फंसना तय है.

अब उन अधिकारियों के बारे में छानबीन हो सकती है, जिनके क्षेत्र में मूल्यांकन में फर्जीवाड़ा हुआ है. इस मामले में जांच होती है तो बरेली सदर और नवाबगंज, पीलीभीत जिले में पीलीभीत सदर और अमरिया, ऊधमसिंह नगर में सितारगंज तहसील के अभिलेख खंगाले जाएंगे. इन पांचों तहसीलों के उन 58 गांवों के लेखपाल, कानूनगो, नायब तहसीलदार, तहसीलदार व विशेष भूमि अध्याप्ति अधिकारी जांच के घेरे में आएंगे. एक लेखपाल पर एक से अधिक गांव का कार्यभार है. इसलिए 40 लेखपाल, 10 कानूनगो, 10 नायब तहसीलदार, पांच तहसीलदार और तीन विशेष भूमि अध्याप्ति अधिकारी जांच के घेरे में आ गए है.
हाईवे में करीब 37 करोड़ और बरेली में बदायूं, दिल्ली रोड को मिलाने वाली 32 किमी लंबा प्रस्तावित रिंग रोड पर करीब 12 करोड़ का घोटाला हुआ है. वहीं news 18 की टीम जब एनएचएआई बरेली ऑफिस पहुंची तब प्रोजेक्ट ऑफिसर इसी घोटाले के संबंध में लखनऊ तलब किए गए हैं जबकि किसी अन्य अधिकारी ने बात करने से मना कर दिया.