डाक्टर मुफ्त में प्राइवेट वार्ड की सेवा लेकर सरकार को किया लाखों रुपये का आर्थिक नुकसान

बदायूँ । जिला महिला अस्पताल में एनेस्थीसिया के डॉक्टर ने प्राइवेट वार्ड में अवैध कब्जा कर रखा है जबकि एनेस्थीसिया की डॉक्टर की मूल तैनाती जिला पुरुष अस्पताल में है। एनेस्थीसिया डॉक्टर गणेश यादव महिला अस्पताल के प्राइवेट वार्ड में एक वर्ष पूर्व से कब्जा जमाएं हुए हैं जबकि सरकार ने गर्भवती महिलाओं को यह सुविधा उपलब्ध कराई हैं जहां महिलाओं के प्रसव होने के बाद प्राइवेट वार्ड में शिफ्ट किया जाता है। जिसकी सरकारी फीस 650 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से रसीद कटती है। मगर डॉ गणेश यादव एक साल से प्राइवेट वार्ड में कब्जा जमाएं हुए हैं। उसके हिसाब से डॉक्टर पर 2 लाख 34 हजार रुपए सरकारी किराया बनता हैं। जिसकी वसूली डॉक्टर के वेतन से होनी चाहिए। इसका कौन जिम्मेदार हैं। महिला अस्पताल के जिम्मेदार कन्नी काटते नजर आ रहे हैं। डॉ गणेश यादव के लिए जिला अस्पताल में ऑपरेशन से पहले नशा देने के काम के लिए रखा गया हैं। डाक्टर अपना मूल काम छोड़कर ओपीडी में मरीजों का इलाज कर रहे हैं। जिसकी वजह से एनेस्थीसिया के डॉक्टर सरकार को लाखों रुपए का आर्थिक नुकसान पहुंचा रहे हैं।

जिला महिला अस्पताल के सरकारी क्वार्टर में रह रहे अनुबंधित संविदा कर्मचारी

सरकार का एक शासन आदेश है कि कोई अनुबंधित या संविदा कर्मचारी सरकारी क्वार्टरों की मुफ्त में सेवा नहीं ले सकता है उसके बाद भी अनुबंधित और संविदा कर्मचारी सरकारी क्वार्टरों का मुफ्त में लाभ ले रहे हैं। जिसकी जानकारी स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के लिए भी है उसके बाद भी अधिकारी सरकार के शासनादेशों को दर किनार कर अपनी जिम्मेदारी पर रख रहे हैं।
अनुबंधित कर्मचारी मुफ्त में सरकारी क्वार्टर की सेवा लेकर सरकार को हर साल लाखों रुपये का आर्थिक नुकसान पहुंचा रहे थे।इसकी शिकायत मुख्यमंत्री जनसुवाई पोर्टल में की गई थी। शिकायतकर्ता ने यह मांग की थी कि आवंटित क्वार्टरों को कब्जा मुक्त कर सरकारी स्टाफ को दिया जाए। साथ ही कब्जेधारियों के वेतन से धनराशि की कटौती कर क्षतिपूर्ति की जाए। या फिर अनुबंधित संविदा कर्मियों को क्वार्टर खाली कराने आदेश जारी किया जाए।