बदायूंl गुरुवार को लॉकडाउन का पालन करते हुए अखिल भारतीय कायस्थ महासभा ने भगवान चित्रगुप्त का जन्मोत्सव परिवार के साथ धूमधाम से मनाया गयाl
19 मई वैसाख शुक्लपक्ष सप्तमी को सम्पूर्ण कायस्थ समाज कोरोना संक्रमण की सावधानी को ध्यान में रखते हुए घर मे श्री चित्रगुप्त जी का प्रगट उत्सव मनाया गया।
पौराणिक आख्यान अनुसार भगवान रुद्र (शंकर) के बाद भी सृष्टि का कार्य सुचारू रूप से नही हो पाया अतः धर्मराज ब्रह्मा के पास गए उनसे सहायक का निवेदन किया,ताकि सृष्टि का लेखा-झोखा सुचारू हो सके,1000 वर्ष ब्रह्मा जी साधना में लीन हुए तब श्री चित्रगुप्त अट्ठारवै मानस पुत्र के रूप में तीनों शक्तियों ब्रम्हा, विष्णु,सदाशिव से युक्त श्री चित्रगुप्त उत्पन्न हुए। चित्रगुप्त का अर्थ जिसका चित्र सदा गुप्त रहे। इसी प्रकार कायस्थ का अर्थ जो काया में स्थ (स्थित) है। भगवान चित्रगुप्त के हाथ मे मसी – दवात,लेखनी-कलम,कृपाण-तलवार तथा पुस्तक का प्रादुर्भाव विधमान थे।
चित्रगुप्त जी हर जीव में गुप्त रहकर उसके कर्मो का आकलन कर उसकी अगली योनी तय कर ब्रहम्मा जी को सूचित करते हैं अतः चित्रगुप्त जी सभी धर्मों में भगवान के रूप में पूजे जाते हैं।कोरोना काल की दूसरी लहर होने के कारण ज्यादातर लोग मंदिर में ना जाकर घर पर ही भगवान चित्रगुप्त का जन्मदिन परिवार के साथ मनाया कायस्थ कुल के आराध्य देव मनुष्य के पाप पुण्य जीवन मृत्यु लेखा-जोखा रखने वाले कलम दवात के देवता की पूजा उनके चित्र के सम्मुख धूप और दीप जलाकर उनकी आरती कर कोरोना की दूसरी लहर दिवंगत आत्माओं की शांति के लिए प्रार्थना की गई और उनके परिवार को शक्ति प्रदान करने की कामना और अस्वस्थ लोगों की ठीक होने की प्रार्थना की गईl