बदायूँ। बताते चलें की बसपा की रीड कहे जाने वाले पूर्व विधायक हाजी बिट्टन भी अपने हजारों कार्यकर्ताओं के साथ सपा में शामिल हो गए जिससे बदायूं में एक बार फिर से बसपा की उम्मीदों पर पानी फिर गया आपको बता दें की हाजी बिट्टन 1996 से बसपा में बने हुए थे

लेकिन अब ऐसा क्या हुआ कि वह सपा में शामिल हो गए लोगों का कहना है शिवपाल सिंह के बेटे का बदायूं से चुनाव लड़ना और शिवपाल सिंह का बदायूं में रहना रोज नए गुल खिला रहा है धर्मेंद्र के जाने के बाद यहां कुछ नाराज़ियां देखने को मिली थी लोगों का कहना था।

इस बार समाजवादी यहां से नहीं जीत पाएगी लेकिन शिवपाल यादव ने कहा था कि हमसे कोई नाराज़ नहीं है सब हमारे साथ हैं और उन्होंने यह करके दिखा दिया कि आज बदायूं में जो लोग नाराज थे वह तो उनके साथ है। लेकिन दूसरी पार्टी के नेताओं का आना भी यह बता रहा

है कि शिवपाल का जादू आज भी कायम है आखिर कौन सी गोट उनके पास है कि वह जिस भी बात करते हैं वह उनका होता चला जाता है। सपा के हमेशा शत्रु रहे हाजी बिट्टन भी उन्हीं में शामिल है लेकिन आज उन पर भी शिवपाल का जादू चल गया और उन्होंने अपने हजारों कार्य कर्ताओं के साथ मिलकर समाजवादी पार्टी

ज्वाइन कर ली हाजी बिट्टन ने शिवपाल यादव को विश्वास दिलाया कि अब चुनाव में आदित्य यादव की ऐसी जीत होगी की बदायूं ‌जीत का इतिहास बनेगा वही शिवपाल यादव ने कहा कि अब हमें पूर्ण विश्वास हो गया है की हाजी बिट्टन के आने से हमारी जीत सुनिश्चित हो गई है। उन्होंने कहा कि विपक्ष परेशान है वह लगातार प्रधानों से लेकर जिला पंचायत बीटीसी सदस्यों को लेकर प्रशासन से दबाव बना रहा है लेकिन इस बार कोई भी दवाव में आने वाला नहीं है। शिवपाल यादव ने कहा कि आज मैं देख रहा हूं की बदायूं में बिजली की हालत खराब है जबकि पूरे भारत में अगर सबसे ज्यादा बिजली महंगी है तो वह भी उत्तर प्रदेश में है। उसके बाद भी यहां लोगों को परेशान करने के लिए चेकिंग के नाम पर लोगों से वसूली की जाती है और जो नहीं देते उनके खिलाफ मुकदमे लिखे जाते हैं हमारी सरकार में एक भी कभी किसी पर मुकदमा नहीं लिखा गया मैं देख रहा हूं जहां-जहां जा रहा हूं वहां अपार समर्थन मिल रहा है और लोगों ने मन बना लिया है इस बार देश की जनता देश का प्रधानमंत्री बदल कर ही दम लेगी। इस मौके पर शिवपाल यादव, पूर्व विधायक हाजी बिट्टन, अज़हर खान, हाजी अकमल, हाफिज इरफान, एडवोकेट रागिब अली आदि मौजूद रहे।

रिपोर्ट सैयद तुफैल अहमद