सम्भल। कुरान के मुताबिक जिंदगी गुजारे मुसलमान तो सारी परेशानियां दूर होंगी। इस्लाम ने महिलाओं को चौदह सौ साल पहले वह मुकाम दिया है जो आज के कानूनदा भी उसे नहीं दे पाए हैं। तालीम के बिना कोई भी कौम तरक्की नहीं कर सकती। मुसलमानों को चाहिए कि बच्चों को तालीम जरूर दिलाएं। दुनियावी तालीम के साथ दीनी तालीम हासिल करने पर भी जोर दिया जाए। आधी रोटी खाइए, लेकिन बच्चों को जरूर पढ़ाएं। उक्त विचार अजमते कुरान कॉन्फ्रेंस में उलेमाओं ने व्यक्त किए।
सम्भल हयात नगर थाना क्षेत्र के सरायतरीन के मोहल्ला मंगलपुरा स्थित मदरसा फैज़ उल उलूम के वार्षिक जलसा दस्तारबंदी शीर्षक अजमते कांफ्रेंस का आयोजन किया गया। जिसमें मदरसे के छात्रों 18 छात्रों की दस्तारबंदी की गई। जिसमे छात्रों ने बेहतरीन तरीके से कुरान की आयतें पढ़कर जलसे का आगाज किया। इस दौरान मुफ़्ती हनीफ बरकाती ने बताया कि मुस्लिम महिलाओं में मजहबी व सामाजिक जागरुकता लाने के लिए कार्यक्रम चलाए। उन्होंने कहा कि इस्लाम ने महिलाओं को बहुत से अधिकार दिए हैं। जन्म से लेकर शादी होने तक अच्छी परवरिश का हक, शिक्षा का अधिकार, अपनी सहमति से विवाह करने का अधिकार, खुला का अधिकार और संपत्ति का अधिकार शामिल हैं। महिला को बेटी के रूप में पिता की जायदाद, बीवी के रूप में पति की जायदाद व मां के रूप में पुत्र की जायदाद का हिस्सेदार बनाया गया है। यानी उसे साढ़े चौदह सौ साल पहले ही संपत्ति में अधिकार दे दिया गया। मुख्य अतिथि सैय्यद मौलाना अमीन मियां ने कुरान की तिलावत पर जोर दिया। उन्होंने ने कहा कि एक हाफिज परिवार के लोगों की बख्शी कराएगा। उन्होंने ने नमाज की पाबंदी और पैगंबर-ए-इस्लाम की सुन्नत पर अमल करने की हिदायत करते हुए कहा कि मुसलमान बुराइयों को छोड़ कर अल्लाह व पैगंबर-ए-इस्लाम के बताए रास्ते पर अमल करे। अमीन मियां ने बताया कि वही कौम तरक्की कर सकती जो अपने बच्चों की तालीम पर तबज्जो देती है। मुफ़्ती ज़ाहिद सलामी ने कुरान व मदरसों के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि तालीम हासिल करना बहुत बड़ा मकसद होता है। लेकिन यह मकसद तभी हासिल हो सकता है जब तालीम के साथ बेहतरीन तरबियत भी दी जाए। कामयाब होने के लिए तालीम की हिस्सेदारी 25 प्रतिशत है जबकि तरबियत की हिस्सेदारी 75 प्रतिशत होती है। इसलिए अभिभावकों और शिक्षकों को चाहिए की वे बच्चों की तरबियत पर भी विशेष ध्यान दे। तरबियत में अदब, तालीम, अखलाक और रोजमर्रा के मामले शामिल होते है। इन्सान कितना भी पढ़ लिख ले लेकिन यदि उसमें अदब और अच्छे अखलाक नहीं है तो इस तरह की तालीम ना तो उसे आखिरत में और ना ही दुनिया में भी किसी काम की है। जलसे के अंत मे मुल्क में अमनो अमान ओर तरक्की व खुशहाली के लिए दुआ कराई। इस दौरान मौलाना मुफ़्ती तौसीफ रजा मिस्बाही,मुफ़्ती महबूब मिस्बाही,कारी अकबर,जैगम रजा, मौलाना अज़ीम मिस्बाही,मौलाना आरिफ,मौलाना फहीम,मौलाना फ़ाज़िल,मौलाना अबरार,मौलाना आदिल,मौलाना तालिब मिस्बाही, मौलाना अली मिस्बाही, हाजी नूरइलाही, क़लीम अशरफ़, आलम, बिलाल, मुजाहिद, ज़की, अब्दुल वाहिद, मेहदी, अज़ीम, मंसूर, शारिक़, जमाल, तालिब आदि लोग मौजूद रहे।
सम्भल से खलील मलिक कि ख़ास रिपोर्ट