न झुक सके जो जुल्म से वो आसमा हुसैन हैं।

सम्भल। नवासा- ए-रसूल इमाम हुसैन की यौमे विलादत के मौके पर शहर के मण्डी किशन दास सराय में स्थित इमाम बारगाह पर एक अज़ीमुशशान जलसे का आयोजन किया गया।
खजूर वाली मस्जिद के इमाम मौलाना मु॰इस्माइल अशरफ़ी ने तिलावत ए कुरान पढ़कर जलसे का आगाज किया।
किछोछा मुक़द्दसा से तशरीफ़ लाए सय्यद आलमगीर अशरफ अशरफ़ी अल जीलानी ने पैगम्बर-ए-इस्लाम व उनकी आले पाक की तालीमात पर रोशनी डाली। उन्होंने कहा ! यह सच है कि हर सहाबी हमारे सर का ताज है। लेकिन मौला अली सहाबा के सरों का ताज हैं। इस के अलावा इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की कुरबानी पर रोशनी डालते हुए कहा कि दुनिया के हर ज़ुल्म के खि़लाफ कर्बला एक दर्सगाह है। इसके बाद नात ख्वाँ और शायरों ने अपने कलाम पेश किए।


जनाब तनवीर अशरफ़ी सम्भली ने कहा- ‘सिर्फ हलाललियों को क्यों इश्के अली की मय रवा। राज़ों में एक राज़ है ये तेरी माँ के राज़ में।।
ज़िया अशरफ़ी सम्भली ने कहा-
नाज़ कर अपने मुकददर पे जिया अब रात दिन
तू मुहब्बे पंजतन है क्या हसी तक़दीर है।
मरातिब अशरफी ने कहा-
अली का दिल हुसैन हैं नबी की जाँ हसैन हैं
न झुक सके जो जुल्म से वो आसमा हुसैन हैं।
रामिश सम्भली ने पढ़ा-
अदावतें जो दिलों में अली की ले के चले।
ब रोज़े हश्र ख़ुदा को को जवाब क्या देंगे।।
हाफिज़ मुशाहिद ने कहा-


तेरा सबसे बड़ा दरबार अली मौला अली मौला।
सब मिलके कहो यक बार अली मौला अली मौला।।
समीर सम्मली ने कहा-
एक अमल शामिल है मेरे क़ल्ब की तासीर में।
यह धड़कता है मुसलसल उल्फते शब्बीर में।।
इसके अलावा मु०वासिक, मु०अलकमर, राशिद हुसैन,मु०वसीम, मु० आसिफ, फतह अली, मुु० आमिर ने भी अपने कलाम पेश किए।
हुजूर सय्यद अता अशरफ अशरफ़ी अल जीलानी की गैर मौजूदगी में इमामे मस्जिद खजूर वाली मौलाना मौ० इसमाईल साहब ने जलसे की सरपरस्ती की।
जलसे की सदारत तनवीर हुसैन अशरफी ने की तथा संचालन सलमान सम्भली और
माजिद सम्मली ने संयुक्तरूप से किया।
इस अवसर पर शाईक, मुआरिफ़ अली, शमशीर अली, सुआलेहीन अशरफी, मु० राहील, मु० जुबैर,
मुराद अली , जीशान, सददाम,


अल्तमिश, आतिफ,वाजिद, मु० फ़ाज़िल, डा० मुजस्सम, मु० आमिर, अबसार, शहबाज़,जुहैर आलम, शाहज़ेब, ख़ातिब आदि मौजूद रहे।
आख़िर में ग्राम प्रधान सरताज हुसैन अशरफ़ी व अरशद हुसैन अशरफ़ी ने जश्न में आने वालों का शुक्रिया अदा किया।

सम्भल से खलील मलिक कि ख़ास रिपोर्ट