Decision to send Dr. Rajkumar’s term of state at Saifai University in mid-day ‘on leave by government
बड़े बेआबरू होकर तेरे कूंचे से हम निकले,बहोत निकले मगर अरमान दिल से लेकिन कम निकले।।मिर्जा गालिब का लिखा यह शेर आज सैफई आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति डॉक्टर राजकुमार पर सटीक बैठता नजर आया,कुलपति का कार्यकाल खत्म होने से पहले ही शासन ने आज कुलपति को अवकाश पर भेजने का निर्णय ले लिया,शासन का निर्णय देर से ही सही लेकिन सही समय दुरस्त आया।चिकित्सा शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव आलोक कुमार ने आज जारी अपने पत्र 717(1)/71-4-2021 के माध्यम से कि वर्तमान कुलपति के पद का कार्यकाल 31 मई को समाप्त हो रहा है,नये कुलपति की नियुक्ति की प्रक्रिया प्रचलित है शीघ्र ही नये कुलपति की नियुक्ति अनुमोदनोपरांत की जायेगी,शासन द्वारा सैफई विश्वविद्यालय इटावा अधिनियम 2015 की धारा 11(10) के अंतर्गत विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति को दिनाँक 31 मई अथवा नये कुलपति की नियुक्ति तक अथवा जो भी पहले हो के लिए कुलपति के कर्तव्यों के निर्वहन हेतु अधिकृत किये जाने का निर्णय लिया गया है,पत्र के अंतिम पैरे में लिखा है कि “सैफई विश्वविद्यालय के वर्तमान कुलपति को बचे शेष कार्यकाल हेतु अवकाश पर जाने हेतु अनुरोध किया जाता है और वह तत्काल प्रभाव से अवकाश पर माने जायेंगे” साथ ही निर्देश जारी किया गया कि शासन द्वारा लिए गये निर्णय अनुपालन सुनिश्चित करने का कष्ट करे,इसके साथ ही पिछले तीन सालों से सैफई विश्वविद्यालय में चला आ रहा राजकुमार राज्य के कार्यकाल के रथ का पहिया बीच रास्ते मे ही थम गया और कहने को मजबूर कर दिया “बाबुल की दुआएं लेते जा,जा तुझको सुखी संसार मिले, सैफई विश्वविद्यालय की कभी ना याद आये, शासन में बैठकर इतना प्यार मिले।।
कई मेडिकल कॉलेजों और विश्वविधालय में नही हो सकी नियुक्ति
सैफई विश्वविद्यालय के कुलपति डॉक्टर राजकुमार ने कुलपति के पद पर रहते हुये कई मेडिकल यूनिवर्सिटी ओर एम्स जैसे संस्थानों में निदेशक/कुलपति पद पर नियुक्ति के लिए हाथ आजमाए आवेदन किये लेकिन हर जगह हाथ खाली रहा,एसपीजीआई लखनऊ में निदेशक के पद पर आवेदन किया लेकिन डॉक्टर धीमान ने अपने आगे डॉक्टर राजकुमार की रफ्तार धीमी कर दी बाद में डॉक्टर राजकुमार ने निदेशक डॉक्टर धीमान के खिलाफ कोर्ट में नियुक्ति को लेकर याचिका भी दायर की लेकिन कोर्ट ने डॉक्टर राजकुमार की याचिका खारिज कर दी,इसके साथ ही झारखंड एम्स में निदेशक पद पर, रायबरेली एम्स में निदेशक पद पर,डॉक्टर राम मनोहर लोहिया विश्वविद्यालय लखनऊ में कुलपति पद पर,अटल विहारी विश्वविद्यालय लखनऊ में कुलपति पद के लिये भी आवेदन किया लेकिन डॉक्टर राजकुमार की किस्मत ने कही भी साथ नही दिया।
कोरोना काल में हो रही अनियमितता से शासन खफा ?
पिछले महीने से सैफई विश्वविद्यालय में कोरोना महामारी के हाहाकार से झूझ रहा है ऑक्सीजन की कमी, सेनेटाइजर,मास्क,ग्लब्स,पीपीई किट और जीवन रक्षक दवाओं की कमियों को शासन ने कुलपति को अवकाश पर माने जाने का निर्णय ले लिया,विश्वविद्यालय के सूत्रो के मुताविक पिछले महीने शासन से विश्वविद्यालय को 5 करोड़ 75 लाख का बजट दिया गया जिसमें 50 लाख दवा,1 करोड़ 25 लाख पीपीई किट के लिये और 4 करोड़ टेस्ट किट के लिये दिये गये लेकिन उसके बाद भी विश्वविद्यालय में दवा और समान के लिये हहाकार मचा रहा जिसका नतीजा यह हुआ कि जे आर डॉक्टरो को समान उपलब्ध ना होने की वजह से हड़ताल भी करना पड़ी।जिसकी कई लिखित शिकायते शासन को भेजी गयी ।बाद में विश्वविद्यालय के एमओ और एमएस को 01-01 रुपये केश देकर दवाएं खरीदी गई।जबकि कोरोना के इस काल मे लाखो रुपयों की दवा की जरूरत होती है।आखिर कहाँ गया करोड़ो का बजट यह जाँच का विषय है।।
काफी विवादों में रहा डॉक्टर राजकुमार के राज्य का कार्यकाल
विश्वविद्यालय में 01 जून 2018 को कुलपति के पद का कार्यभार ग्रहण करने के बाद जैसे मानो लगा कि मुलायम सिंह के सपनो के महल की नींव में भ्रष्टाचार की जड़े फैलकर उनको खोखला करने में जुट गई हो,अनियमितताएं,भ्रष्टाचार और विवादित फैसले डॉक्टर राजकुमार राज्य में फैशन शो की तरह रेम्प पर चलने लगे,सितंबर 2018 में ओएसडी के पद पर जयशंकर प्रसाद की नियुक्ति,रैंगिंग मामले में अपनों पर करम गैरो पर सितम का फैसला, करके भी तन्हा रह गये,दिल के अरमाँ आंसुओं में बह गये