बदायूँ । 25 दिसम्बर रमज़ानपुर नफीस मंज़िल का०मैडम निगार नफीस की पहली बरसी के मौक़े पर काकोरी के शहीदों की याद में एक मुशायरे का आयोजन किया गया जिस की सदारत राग़िब ककरालवी व निज़ामत अहमद अमजदी बदायूॅनी ने की मुशायरे का अग़ाज़ नाते पाक से ज़मीर लोहाठेरी ने किया।
सर प्रथम राग़िब ककरालवी ने कहा
खिलौनों से सजी दौरान के आगे खड़े हो कर
किसी नादान का बच्चा सरे बाज़ार रुठा है।
अहमद अमजदी बदायूॅनी ने मैडम निगार और काकोरी के शहीदों को याद करते हुए कहा
जो दिल में सर फ़रोशी की तमन्ना ले के जीते हैं।
ज़माना उन का अहमद अमजदी सम्मान करता है।
बहुत से लोग हैं दुनिया में अपने
मगर तुम सा कोई अपना नहीं है।
हमारे दिल में हैं यादें तुम्हारी
हमारे दिल में सन्नाटा नहीं है।
शोहराब ककरालवी ने कहा
दिन निकलने में ज़रा देर बची है अब तो
ऐ मेरी रात मेरा ख्वाब मुकम्मल कर दे
चांद ककरालवी ने कहा
एक क़तरे का न जो हक़दार था
दस्तरस में उस की दरिया आ गया
कामिल अरौलवी ने कहा
अब कोई मफादात से हट कर नहीं मिलता
इख़लास किसी शख्स के अंदर नहीं मिलता
मैडम को याद करते हुए अज़मत ककरालवी ने कहा
जाने वाला तो कभी लौट के आएगा नहीं
क्यूँ न उस शख्स की तस्वीर बनालो जाए
राजवीर सिंह तरंग ने कहा
हमेशा ज़लिमों की ही तरफदारी नज़र आई
कभी मज़लूम का डीबेट में चर्चा नहीं होता
मैडम को याद करते हुए मुर्शिद गौराई ने कहा
कहते हैं याद करके हिन्दूऔर मुस्लमान
मैडम निगार थी रमज़ान पुर की शान
मोहसिन ककरालवी ने कहा
बड़े काम की बात कहता था पागल
मगर दुनिया वालोँ ने हंस के उडा दी
इनके अलावा मास्टर सईद, डा० नासिर, शमीम ककरालवी, ज़मीर लोहाठेरी, चरन सिंह यादव, बका उददीन लोहाठेरी, ने भी मैडम निगार और काकोरी के शहीदों को याद करके अपने – अपने शेर सुनाए
मुशायरे में भाकपा (माले) के पशिचमी उ०प्र० प्रभारी का०असरोज़ आलम, समाजिक कार्यर्कता डा० सतीश, क्रष्ण गोपाल गुप्ता, आदि मौजूद रहे।
अंत में मुशायरे के आयोजक/संयोजक नफीस साहब ने आये हुए कवि एवं शायरों का शुक्रिया अदा किया।