बदायूँ। आपको बता दें कि बदायूँ जिले के ब्लॉक दहगवां के ग्राम पंचायत भोगाजीत नगरिया के प्राथमिक विद्यालय में एसडीएम प्रेमपाल सिंह ने औचक निरीक्षण किया जिसमे विद्यालय में कक्षा पांच के बच्चो से पूछा कि हमारे देश का नाम क्या जिसमे बच्चो को अपने देश का नाम ही नही बता सके और बाद में फिर बच्चो से सूबे के मुख्यमंत्री का नाम पूछा बह भी नही बता सके इसके साथ ही प्रधानमंत्री का भी नाम नही बता सके और एसडीएम ने देखा कि विद्यालय में सफ़ाई भी नही की गई और शौचालय में ताले लगे पाए गए जिसको देखकर एसडीएम का पारा चढ़ गया और प्रधानाध्यापक को चेतावनी दी जिसके बाद प्रधानाध्यापक ने आनन फानन मे शौचालय के ताले खोले और फिर कंपोजिट ग्रांट के बारे में जानकारी ली जिसका लेखा जोखा नही दिखा सके और फिर ग्राम प्रधान के बारे में पूछा तो प्रधान मौके
पर नही पहुंचे लेकिन सवाल यह उठता है कि सूबे के मुख्यमंत्री पढ़ाई के नाम पर लाखों करोड़ों रुपए इसलिए खर्च करते हैं क्योंकि सूबे के नौनिहालों को बहतर से बहतर पढ़ाई लिखाई हो सके लेकिन बात की जाए भोगाजीत नगरिया के प्राथमिक विद्यालय की तो सूबे के मुख्यमंत्री की योजनाओं को पलीता लगाते नज़र आ रहे हैं। इसके साथ नौनिहालों के भविष्य के साथ भी खिलवाड़ होता नज़र आ रहा है ।आखिर बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारीयो की नज़र ऐसे घमंडी और तानाशाही अध्यापकों की लगाम कब कसी जायेगी जिससे बच्चो के भविष्य के साथ खिलवाड़ न हो सके एसडीएम सहसवान ने डीएम बदायूँ के आदेशानुसार औचक निरीक्षण किया है। देखना होगा एसडीएम सहसवान इस पर क्या कार्यवाही करते हैं या फिर उच्चाधिकारियो क्या रिर्पोट भेजते हैं और बही पर एसडीएम ने प्रधान के द्वारा किए गए कायाकल्प के काम के बारे मे प्रधानाध्यापक सुनील कुमार से जानकारी ली तब बताया कि प्रधान के द्वारा कायाकल्प योजना के नाम से विद्यालय परिसर में कोई भी कार्य नही किया गया है। जिसकी सुनते ही एसडीएम प्रेमपाल सिंह का और पारा चढ़ गया लेकिन अब देखना होगा कि प्रशासन ऐसे लापरवाह अध्यापकों और प्रधानों के ऊपर कब तक कार्यवाही करते है या फिर इसको भी ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा ये तो आने वाला समय ही बताएगा।