डॉक्टर उजमा कमर का संदेश

जैसा कि आप जानते हैं कि यह रमजान का महीना है और इस्लाम में रमजान के महीने की बहुत अहमियत है। रमजान के महीने में ऐसा माना जाता है। कि मोहम्मद सल्ला अलेही वसल्लम जो कि इस्लाम धर्म के आखिरी पैगंबर रहे हैं। उन्हें अल्लाह ने इस्लाम धर्म से जुड़े धार्मिक सिद्धांत, शिक्षा और इस्लाम धर्म के लोगों के लिए रास्ते भी बताए जैसे इस्लाम में क्या सही है ? और क्या सही नहीं है? इन्हीं सब शिक्षाओं को कुरान के रूप में नाजिल किया था और इसीलिए इस्लाम में रमजान के महीने का खास महत्व है।

कुरान के और हजरत मोहम्मद साहब के जीवन से लेकर मैं ह्यूमन चेन संस्था की कार्यकर्ता के रूप में महिलाओं की जिन्दगी से जुड़ी बहुत सी अहम बातें बताएंं।

इस्लाम धर्म के बारे में हमेशा से यह माना जाता रहा है कि महिलाओं को बराबरी का दर्जा नहीं दिया जाता है। उनका तुष्टीकरण किया जाता है या वह शिक्षा के क्षेत्र में महिलाओं को आगे नहीं बढ़ने दिया जाता है। हालांकि कुछ हद तक अब यह बात गलत साबित हुई है। लेकिन अभी भी इस तरह की बहुत भ्रांतियां हैं।

अगर हुजूर सल्ला वाले वसल्लम पैगंबर मोहम्मद साहब की पहली शादी 40 साल की एक विधवा महिला से हुई थी, जोकि अपना व्यवसाय करती थी। यह चीज एक बात बड़ी शिक्षा देती है कि अगर इस्लाम में महिलाओं का आगे बढ़ना, शिक्षित होना, व्यवसाय करना या पुरुषों के कंधे से कंधा मिलाकर चलना गलत होता तो इस्लाम के मुख्य प्रवर्तक मोहम्मद साहब एक विधवा और व्यवसायिक महिला से शादी क्यों करते? उन्होंने एक उदाहरण प्रस्तुत किया है कि इस तरह की महिलाओं को भी आगे बढ़ने बेहतरी से जीने का अधिकार है और उनको वो मौका मिला चाहिए। लड़कियों को शिक्षा प्रदान करनी चाहिए और महिलाओं को व्यवसाय के विभिन्न क्षेत्रों में आगे बढ़ाना चाहिए और वह जिस क्षेत्र में कार्य करना चाहती हैं। उसमें आगे बढ़ने देना चाहिए।

लेकिन आज हम देखते हैं कि लगभग सभी धर्मों में संस्कृति की उलहाना देकर कहीं ना कहीं महिलाओं को पीछे खींचने का कार्य किया जाता है। इसका स्वरूप या मात्रा भले ही अलग हो सकती है। अगर महिला किसी व्यवसाय में, या किसी क्षेत्र में आगे निकल गई है तो उस पर दुनिया भर के इलजाम लगाकर उसको गलत साबित करने, चरित्रहीन, या स्वार्थी आदि साबित करने की कोशिश होती है। अगर कुछ मामलों को छोड़ दें तो महिलाओं आगे बढ़ने पर घर परिवार और कई बार समाज भी रोड़े अटकाता है। हमारे समाज और देश में जो माहौल है उसके लिए मेरा सिर्फ और सिर्फ यह कहना है कि अगर आप धर्म को मानते हैं चाहे वह कोई भी धर्म हो। चाहे वह हिंदू धर्म और इस्लाम धर्म में आप देखेंगे कि महिलाओं को बराबर की हिस्सेदारी दी गई है। महिलाओं को शिक्षित करने को कहा गया है। महिलाओं को आगे बढ़ने देने को कहा गया है। इसलिए धार्मिक रूप से सभी को बराबरी का जो हक़ मिला है वो महिलाओं को भी पूर्ण रूप से मिलना चाहिए। कृपया सभी लोग दकियानूसी विचारों और अंधविश्वासों से बाहर आएं।अगर आप धर्म की आड़ में भी चलते हैं तो भी आप महिलाओं को आगे बढ़ने दें, आगे आने दें, उनको सहयोग करें। आपकी मदद की नहीं आपके सहयोग की जरूरत है। उनको आपके साथ की जरूरत है। बेटे और बेटी में शिक्षा, पालन पोषण, रोजगार, व्यवसाय, साथी के चयन आदि पक्षों के लेकर भेदभाव न करें। बेटों को महिलाओं के अधिकारों और सम्मान के बारे में सजग बनाएं। अगर ऐसा कर सके हम तब शायद महिलाओं के लिए भयमुक्त समाज की स्थापना करने में कामयाब हो सकेंगे।

ह्यूमन चेन संस्था

डॉक्टर उजमा कमर