म्याऊँ : कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर तेजी से फैल रही है। गांव-शहर, टोला-कस्बा सभी जगह यह अपना पांव पसार चुकी है। इसी के साथ महानगरों और दूसरे शहरों से प्रवासी मजदूरों के वापस लौटने का सिलसिला भी शुरू गया है। वापस आ रहे परदेसी बाबुओं की न कोरोना जांच की जा रही है और न ही उन्हें क्वारंटाइन किया जा रहा है, जिससे संक्रमण की चेन टूटने के बजाए इसके और तेजी से फैलने की संभावना बढ़ गई है, लेकिन इस ओर किसी का ध्यान नहीं है।
गत वर्ष कोरोना संक्रमण को ले पूरे देश में लगे लॉकडाउन के समय भी हजारों प्रवासी मजदूर अपने-अपने गांव वापस आए थे, लेकिन तब वापस आने वाले मजदूरों को लेकर सरकार और प्रशासन की ओर से पूरी सतर्कता बरती जा रही थी। गांव आने के साथ ही उन्हें सरकारी भवनों में क्वारंटाइन किया जा रहा था। साथ ही उनकी कोरोना जांच भी कराई जा रही थी। जांच में कोरोना संक्रमित नहीं होने की पुष्टि होने के बाद ही उन्हें घर जाने दिया जा रहा था, लेकिन इस बार वैसी व्यवस्था नहीं है। वापस आ रहे प्रवासी मजदूरों की न मुकम्मल जांच की जा रही है और न ही उनके क्वारंटाइन की व्यवस्था की गई है। वे सीधा अपने घर पहुंच जा रहे हैं। साथ ही गांव-मोहल्ला में खुलेआम घूम भी रहे हैं। इससे लोगों में भय बना हुआ है।
लोगों का कहना है कि वापस आ रहे प्रवासियों में हो सकता है कोई कोरोना पॉजिटिव भी हो, जो घर पहुंचकर अपने स्वजनों से मिलने-जुलने के साथ-साथ हर जगह आना-जाना कर रहे हैं। अपने दोस्तों और सगे-संबंधियों से भी मिल रहे हैं। ऐसे में संक्रमण के बढ़ने का खतरा काफी बढ़ गया है। एक तरफ सरकार कोरोना की रोकथाम के लिए सख्ती बरत रही है। लोगों से जारी दिशानिर्देशों और प्रोटोकॉल का पालन करने की अपील कर रही है, वहीं प्रवासी मजदूरों के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई है। यदि प्रवासी मजदूरों को क्वारंटाइन और जांच करने की समुचित व्यवस्था नहीं की गई, तो स्थिति और विस्फोटक हो सकती है। लोग गत वर्ष की तरह ही इस बार भी व्यवस्था करने की मांग कर रहे हैं।
रिपोर्टर रामू सिंह (म्याऊ)