बदायूं। आज दिनाँक 23/4/2021 को सुबह उत्तर प्रदेश कायस्थ परिवार के सदस्यों ने एक मुहिम चला कर भगवान चित्रगुप्त प्रकटोत्सव के बारे मे बताते हुए भगवान चित्रगुप्त प्रकटोत्सव घर पर मनाने का आग्रह किया उन्होनें बताया कि.. हिंदुओं के हिन्दी संवत् मास चित्रमास है जो अपभ्रंश होकर चैत्रमास हो गया है। यह मास चित्रगुप्तजी के नाम से है। इसी चित्रमास के पूर्णिमा को चित्र (चित्रा) नक्षत्र में ब्रह्माजी जी द्वारा 11000 साल की तपस्या करने के उपरांत श्री चित्रगुप्तजी भगवान मध्यप्रदेश के उज्जैन जिले में क्षिप्रा नदी के तट प्रकट हुए थे। उज्जैन में ही काफी पौराणिक चित्रगुप्त मंदिर भी हैं जहाँ प्रसाद के रूप में कलम, दवात चढ़ाया जाता है जिससे प्रसन्न होकर श्री चित्रगुप्त भगवान अपने भक्तो को मनवांछित फल प्रदान करते हैं, साथ ही कायस्थ के चार तीर्थो में उज्जैनी नगरी में बसा श्री चित्रगुप्त भगवान का ये मंदिर पहले नंबरपर आता है।चित्रमास की पूर्णिमा चित्र पूर्णिमा अर्थात् चित्रगुप्त पूर्णिमा कही जाती है।
कांचीपुरम् चेन्नई में चित्रगुप्तजी का प्राचीन मंदिर है। पूरे दक्षिण भारत में चित्र पूर्णिमा के दिन को चित्रगुप्तजी का जन्मदिन मनाया जाता है और चित्र पूर्णिमा से वैशाख पूर्णिमा तक यम नियम का पालन किया जाता है। इस पूरे मास को चित्रगुप्तजी* के नाम से ही चितरई मास कहा जाता है।उत्तर प्रदेश कायस्थ परिवार के अध्यक्ष मनोज कुमार जौहरी ने बताया कि कोरोना महामारी के कारण इस कार्यक्रम को सार्वजनिक रूप से नही करने का निर्णय लिया व समाज के लोंगो से विश्व कल्याण के लिए घर पर भगवान चित्रगुप्त की पूजा करने का आव्हान किया गया