सहसवान।बदायूँ नगर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में परचूनी की दुकानों की तरह खुले हैं। पैथोलॉजी फर्जी लैब जिनके पास कोई रजिस्ट्रेशन से लेकर कोई डिग्री तक नहीं है। वो लोग पैथोलॉजी लैब की दुकानें चलते नजर आ रहे हैं। बता दे क्लीनिक व नर्सिंग होम के आसपास कुकुरमुत्ते की तरह उपजे पैथोलॉजी लैबो में जहां एक तरफ मरीज का आर्थिक शोषण होता है। वही उनके द्वारा किए गए जांच की गलत रिपोर्ट होने से मरीजों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है। नगर में कुछ 50 से अधिक पैथोलॉजी लैब संचालित है। जबकि कुछ ही पैथोलॉजी लैब रजिस्टर्ड है। जानकारों का कहना है। कि नगर में गिने चुने पैथोलॉजी लैब ही रजिस्टर्ड है। बाकी अधिकांश पैथोलॉजी लैब फर्जी तरीके से संचालित है। जिनके ऊपर आज तक स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों द्वारा कोई कार्रवाई करना उचित नहीं समझ गया है। बता दे दर्जनों ऐसे लैब संचालित है।जिन पर कहीं कोई साइन बोर्ड तक नहीं लगा है।वही कुछ डॉक्टरों द्वारा ऐसे लैब संचालकों से कमीशन खोरी की साठ गांठ कर मरीजों के परीक्षण के लिए भेज दिया जाता है।इसमें आधी कमिशन डॉक्टरों तक खुद चल कर पहुंच जाती है। जिसके कारण गलत रिपोर्ट के लिए भी सही रिपोर्ट कहना डॉक्टरों की मजबूरी बन जाती है।