उझानी: प्रखर बाल संस्कारशाला के बच्चों ने घोंसले से नीचे गिरे गौरेया के छोटे बच्चों को दाना पानी खिलाया। पंख निकलने पर जब पक्षियों ने अपने अद्भुत संसार खुले आसमान में स्वतंत्र होकर ऊँची उड़ान भरी। तो बच्चों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। बच्चों ने अपनी छतों पर पक्षियों के लिए दाना पानी रखने का संकल्प लिया।
गायत्री परिवार के संजीव कुमार शर्मा ने कहा कि पशु पक्षियों से ही प्रकृति का दुर्लभ सौंदर्य है। हिंदू धर्म में पक्षियों को देवता और पितर माना है। वैज्ञानिक भी पक्षियों की अद्भुत क्षमताओं पर आश्चर्य चकित हैं। उन्होंने कहा जिस दिन आकाश से पक्षी और धरती से वन्य जीव विलुप्त हो गए। उस दिन मनुष्य का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा। इंसानों के बीच पेड़ों और घरों में घोंसला बनाकर रहने वाले पक्षियों का जीवन खतरे में आ गया है। पक्षियों को संरक्षण दें, अपनी छतों पर दाना पानी रखें।
हेमंत शर्मा ने कहा कि पशु पक्षी हमारे जीवन का अंग हैं। प्रकृति का जितना अनुशासन पशु पक्षी मानते हैं। उतना मनुष्य नहीं। उन्होंने कहा गौरेया जिस घर आंगन में रहती है। वहां सुख शांति और दिनोदिन तरक्की होती है।
संस्कारशाला के बच्चों ने पेड़ पर रखे घोंसले से नीचे गिरे गौरेया के दो बच्चों को दाना पानी खिलाकर और उनका पालन पोषण किया। पंख निकलने पर उन्हें खुले आसमान में आजाद कर दिया। पक्षियों का ध्यान रखने वाले हेमंत, दीप्ति, भूमि और खुशबू को सम्मानित किया गया।