सम्भल। लगातार दो फैक्ट्रीयों का संचालन बन्द होने के बाद एक ओर मीट फैक्ट्रा पर संकट के बादल छा रहे हैं। इस बार इण्डिया फ्रोज़न फूड को कारण बताओं नोटिस जारी कर 15 दिन का समय दिया गया है।बताते चलें कि उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से इण्डिया फ्रोज़न फूड ग्राम बेग़मपुर चिमयावली को नोटिस जारी कर 15 दिन मे स्पष्टीकरण मांगा गया है। बोर्ड की ओर से जारी नोटिस मे15 दिन के स्पष्टीकरण न दिये जाने पर फैक्ट्री का संचालन रोके जाने तथा बिजली काटे जाने जैसी कार्यवाही करने की भी चेतावनी दी गई है। पत्र मे कह गया है कि राज्य स्तरीय समिति द्वारा वर्ष-2016 मे निर्गत पशुवधशालाओं के स्थापना हेतु अनापत्ति प्रमाण पत्र की सूची मे मैसर्स इण्डिया फ्रोज़न फूड ग्राम बेग़मपुर चिमयावली शामिल नहीं है। 350 नग भैं ओर भैंसा प्रतिदिन से बढ़ाकर 700 पशुवध प्रतिदिन वृद्वि किए जाने जाने हेतु विस्तारीकृत क्षमता पर राज्य बोर्ड से
स्थापनार्थ सहमति प्रदान नहीं की गई है। ऑफ लाईन आवेदन मे 700 भैंस एवं भैंसा एवं प्रतिदिन पशुवध हेतु संचालन के लिए सहमति आवेदित किया गया है। बता दें कि यह आवेदन बोर्ड मे ग्राह्य नहीं है। सवाल यह भी उठता है कि आखिर प्रदूषण विभाग ने लम्बे समय से चल रही फैक्ट्री के पास अनापत्ति प्रमाण पत्र न होने ओर 700 की क्षमता का ऑफ लाईन आवेदित होने पर कार्यवाही क्यों नहीं की। अब तक कई वर्षो से जिस तरह कर आवश्यक मानकों की अनदेखी कर धन कमाया गया तो क्या उसकी वसूली भी प्रदूषण विभाग या सम्बंधित विभाग को करनी अनिवार्य है की या नहीं। जिस तरह मानकों की अनदेखी करने वाली मीट फैक्ट्रीयों पर प्रदूषण विभाग गम्भीर लापरवाहियों बरतने ओर मानकों की अनदेखी करने पर सील करने जैसी कार्यवाही कर रहा है क्या मैसर्स इण्डिया फ्रोज़न फूड पर भी अमल करेगा या फिर मामले को ठण्डे बस्ते मे डाल दिया जायेगा। सवाल यह भी खड़ा होता है अनेक बार चर्चा का विषय बनी रहने वाली तथा कथित फैक्ट्री के अन्य दस्तावेज़ों की जांच हुई तो ओर भी मामले प्रकाश मे आ सकते हैं। कहते हैं न की जो दूसरो के लिए गड्ढा खोदता है। वह एक दिन खुद गड्ढे मे गिर जाता है। ऐसा ही कुछ आज कल हो रहा है मीट फैक्ट्रीयो के मामले मे एक के बाद मीट फैक्ट्रीयां प्रदूषण विभाग की कार्यवाही की जद मे आ रही है। प्रदूषण विभाग देर से जागा लेकिन दुरूस्त जागा। प्रदूषण विभाग ने जैसे ही नियमों की अनदेखी होने पर कार्यवाहीयां अमन मे लानी शुरू की हड़कम्प मच गया। मीट कारोबारी इस कार्यवाही को जैसे तैसे बर्दाश्त कर गये। लेकिन इस सब के पीछे जिन महाश्य ने पूरी फिल्म तैयार की वह भी अपने आप को नहीं बचा पाये। यह कोई पहला मामला नहीं था जब इन्होने अपनी मानिकसता का परिचन ऐसा अक्सर होता रहा है। इस बार तो उन्होने हद ही पार कर दी ओर आस पड़ौसियों की मुखालत को कोई कमी नहीं छोड़ी। परन्तु महाश्य
यह ज़रूरी भूल गये की वह भी कार्यवाही की जद मे आ सकते हैं, ओर अब खुद को मुंह की खानी पड़ रही है। अब देखना यह होगा जो प्रदूषण विभाग देर से जागा है वह महज़ नोटिस की कार्यवाही तक सिमित रहेगा या फिर सबके लिए एक समान कानूनी कार्यवाही की व्यवस्था। चर्चा है की मामले को ठण्डे बस्ते में डालने के भरसक प्रयास हो रहे हैं ओर अब तक जिस तरह मानकों की अनदेखी हुई वह अब के नुकसान की भरपाई को कैसे पूरा करेंगे। आखिर प्रदूषण विभाग अब तक क्यों चुप्पी साधे रहा।
सम्भल से खलील मलिक कि ख़ास रिपोर्ट