महराजगंज: भारत नेपाल सीमा से फर्जी पासपोर्ट के मामले में गिरफ्तार युगांडा का कैदी सेबेन्या बेन कोर्ट के आदेश पर शुक्रवार को जिला कारागार से रिहा कर दिया गया. खास बात यह है कि कोर्ट ने युगांडा के कैदी पर तीन हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया था. यह धनराशि उसने जेल के अंदर मजदूरी कर जुटाई.

जेलर अरविंद श्रीवास्तव ने जेल में काम करने की बदौलत मिली पारिश्रमिक धनराशि से सेबेन्या बेन की अर्थदंड को चुकता कराया. इसके बाद कोर्ट के आदेश के मुताबिक सभी न्यायिक प्रक्रिया का पालन करते हुए उसको रिहा कर दिया गया. उसके पास पास वीजा व पासपोर्ट नहीं है. इसलिए उसे लेकर महराजगंज पुलिस दिल्ली रवाना हो गई. वहां उसे युगांडा के दूतावास में सुपुर्द किया जाएगा. इसके बाद वह अपने वतन जाएगा.

ढाई साल पहले हुआ था गिरफ्तार
युगांडा के नागरिक सेबेन्या बेन को सोनौली में 14 नवंबर 2018 को  गिरफ्तार किया गया था. वह दिल्ली से नेपाल जाने के लिए सोनौली बार्डर पर पहुंचा था. नेपाल जाने के लिए वह अपना पासपोर्ट सोनौली के इमीग्रेशन आफिस में क्लीयरेंस के लिए दिया. पासपोर्ट व वीजा की जांच में यह पता चला कि पासपोर्ट सेबेन्या बेन का नहीं है. उसके मिलते-जुलते नाम वाले किसी दूसरे युगांडा के नागरिक का पासपोर्ट है. पासपोर्ट पर भारत आगमन पर 29 अक्तूबर 2018 को इंदिरा गांधी इंटरनेशल एयरपोर्ट नई दिल्ली का अराइवल इमीग्रेशन क्लीयरेंस का स्टाम्प लगा था.

ऐसे खुला भेद 
सोनौली के इमीग्रेशन कार्यालय ने इस संबंध में जब दिल्ली एयरपोर्ट से पता किया तो वहां से बताया गया कि उस पासपोर्ट पर किसी भी व्यक्ति का आईजीआई इंटरनेशनल एयरपोर्ट नई दिल्ली पर नहीं हुआ है. इसके बाद पूछताछ करने पर युगांडा के नागरिक ने बताया कि दिल्ली में आने के बाद उसका पासपोर्ट गायब हो गया था. इसके बाद वह अपने देश से परिचित के माध्यम से अपने नाम से मिलते हुए शख्स का पासपोर्ट कोरियर के माध्यम से मंगाया था. उस पर इंदिरा गांधी इंटरनेशल एयरपोर्ट नई दिल्ली का अराइवल इमीग्रेशन क्लीयरेंस का फर्जी स्टाम्प लगाया. उसी पासपोर्ट के माध्यम से नेपाल जा रहा था, लेकिन डिपार्चर इमीग्रेशन क्लीयरेंस में धोखाधड़ी का भेद खुल गया. इसके बाद इमीग्रेशन के कर्मियों ने उसको सोनौली पुलिस को सुपुर्द कर दिया. सोनौली पुलिस ने युगांडा के नागरिक सेबेन्याबेन के खिलाफ धोखाधड़ी व 14 विदेशी विषयक अधिनियम के तहत जेल भेज दिया.

जेल में किया मजदूरी 
जेलर अरविन्द श्रीवास्तव ने बताया कि युगांडा का नागरिक सेबेन्या बेन 16 नवंबर 2018 से जिला कारागार में बंद था. वह मानसिक रूप से बीमार था. मानसिक चिकित्सालय वाराणसी में पहली बार 28 मार्च 2019 से 27 मई 2019 तक इलाज कराया गया. दूसरी बार 16 जून 2020 से 22 अक्तूबर 2020 तक इलाज हुआ. जेल के अंदर उसको अस्पताल में बागवानी के काम पर लगाया गया था. ताकि वह डॉक्टरों की निगरानी में रहे. इस काम के बदले वह 3725 रुपया अर्जित किया था. जेल प्रशासन भी उसकी अवसाद की स्थिति को दूर करने के लिए लगातार प्रयासरत रहा. जेल प्रशासन ने उसे अच्छे बंदियों के बीच रखा. जनपद न्यायाधीश व डीएम, एसपी के निरीक्षण के दौरान भी जेल प्रशासन ने सेबेन्या बेन की जानकारी दी. जेल में उसका व्यवहार भी अच्छा रहा. न्यायालय ने कारागार में बिताए गए दिन के आधार पर रिहा करने का आदेश दिया. साथ ही साथ तीन हजार रुपया का अर्थदंड भी लगाया. अर्थदंड नहीं देने पर उसको 16 दिन का अतिरिक्त सजा भुगतनी पड़ी. जेलर अरविन्द श्रीवास्तव ने सेबेन्या बेन को जेल में मिली पारिश्रमिक से उसका अर्थदंड जमा कराया गया. इसके बाद  उसे रिहा कर दिया गया.

नौतनवां तहसील प्रभारी दीपक बनिया